चीनी वैज्ञानिकों ने रसातल के पारिस्थितिकी तंत्र का मानचित्र तैयार किया

बीजिंग, 7 मार्च (आईएएनएस)। रसातल से तात्पर्य 6,000 मीटर से अधिक गहराई वाले गहरे समुद्री क्षेत्र से है, जिसका दबाव हजारों वायुमंडल तक होता है। उदाहरण के लिए, यह लोगों के हाथ की हथेली पर खड़े 20 हाथियों द्वारा उत्पन्न दबाव के बराबर होता है। इसके अलावा, निम्न तापमान और खाद्यान्न की कमी के चरम वातावरण के साथ, रसातल को कभी ‘जीवन का रेगिस्तान’ माना जाता था।
चीनी मानवयुक्त पनडुब्बी ‘फेंडोज़े’ और चीन में घरेलू स्तर पर निर्मित वैज्ञानिक अनुसंधान प्रणाली की मदद से, चीनी वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्र में सूक्ष्मजीव अनुसंधान में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है और दुनिया के सबसे गहरे महासागर पारिस्थितिकी तंत्र की पहली तस्वीर सफलतापूर्वक खींची है और रसातल में जीवन की अनुकूलन रणनीतियों व संसाधन क्षमता का खुलासा किया है।
शुक्रवार को यह शोध परिणाम शीर्ष अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘सेल’ में प्रकाशित हुआ, जिससे यह पता चला कि चीन का गहरे समुद्र में सूक्ष्मजीव अनुसंधान दुनिया में सबसे आगे है।
रसातल के पारिस्थितिकी तंत्र का विश्व का पहला विहंगम दृश्य प्राप्त करने में एक चीनी अनुसंधान दल को तीन वर्ष का समय लगा। उन्होंने मारियाना ट्रेंच से प्राप्त 1,600 से अधिक सूक्ष्मजीव नमूनों और 11 विभिन्न गहरे समुद्र की मछलियों का विश्लेषण किया है।
बताया गया है कि चीनी वैज्ञानिक अनुसंधान टीम ने रसातल के सूक्ष्मजीवों का दुनिया का पहला बड़ा डेटाबेस स्थापित किया है और ‘मारियाना सहमति’ के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ डेटा साझाकरण खोला है, जिससे गहरे समुद्र के रहस्यों की वैश्विक संयुक्त खोज को बढ़ाया गया है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
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