‘अरुणाचल पर तेवर दिखा रहा चीन अब तिब्बत पर लगा घिरने’, अमेरिकी सांसदों की भारत में बड़ी मीटिंग

‘अरुणाचल पर तेवर दिखा रहा चीन अब तिब्बत पर लगा घिरने’, अमेरिकी सांसदों की भारत में बड़ी मीटिंग

इस हफ्ते अमेरिका की अगुवाई में जी 7 देशों की तरफ से चीन को आर्थिक प्रतिबंध की चेतावनी देने के बाद तिब्बत मामले पर भी अमेरिका एक बड़ा सख्त संदेश देने जा रहा है। अगले हफ्ते अमेरिकी सांसदों का एक बड़ा दल धर्मशाला की यात्रा पर आ रहा है। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (प्रतिनिधि सभा) में विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल मैकॉल इस दल की अध्यक्षता कर रहे हैं जिसमें पूर्व सभापति नैंसी पॉवेल, अमी बेरा जैसे कद्दावार सांसद शामिल हैं।

अमेरिकी संसदीय दल की बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा से भी मुलाकात होगी और प्रेस कांफ्रेंस भी किये जाने की संभावना है। इसे तिब्बत मामले में अमेरिकी नीति में संभावित बदलाव की शुरूआत के तौर पर देखा जा रहा है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जिस तरह से अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन भारत के मामले में हस्तक्षेप करने की नीति को उकसाता रहता है, वही स्थिति अब अमेरिका उसके साथ तिब्बत मामले में करता दिख रहा है।

चीन को नागवार गुजर सकती है यह बात

चीन को यह बात बहुत ही नागवार गुजर सकती है कि यह दल धर्मशाला में तिब्बत के निर्वासित सरकार व संबंधित प्रतिनिधियों से मिलने के बाद नई दिल्ली में भारत सरकार के प्रतिनिधियों व उच्च अधिकारियों से भी मुलाकात करेगी।

यात्रा भारत-अमेरिकी रिश्तों के प्रति भरोसे को मजबूत करेगा

अमेरिकी सांसदों के दल के साथ भारत दौरे पर आ रही सांसद मैरियानेटे मिलर-मिक्स ने कहा है कि, “यह यात्रा भारत-अमेरिकी रिश्तों के प्रति भरोसे को और मजबूत बनाने में मददगार साबित होगा। हमें दलाई लामा से मिलने का भी सौभाग्य प्राप्त होगा और इस अवसर पर हम उनसे यह समझना चाहेंगे कि तिब्बत की स्वायत्तता को लेकर अमेरिकी जनता उनकी किस तरह से मदद कर सकती है।”

भारत हमारा एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार देश- सांसद मैकॉल

संसदीय दल के अगुवा सांसद मैकॉल ने कहा है कि, “भारत सिर्फ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र नहीं है बल्कि हमारा एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार देश भी है। हम इस साझेदारी को और मजबूत बनाना चाहते हैं। इस यात्रा के दौरान हमें दलाई लामा से भी मिलने का मौका मिलेगा। तिब्बत के लोग लोकतंत्र को पसंद करने वाले लोग हैं जो सिर्फ अपने धर्म का आजादी से पालन करना चाहते हैं। इस बारे में अमेरिका एकजुट है कि तिब्बत की जनता को उनका भविष्य चुनने में मदद करने करना चाहिए।”

भारत ने इस यात्रा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी

भारत ने इस यात्रा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन विदेश मंत्रालय इस पर नजर रखेगा। जानकार उक्त बयानों को काफी महत्वपूर्ण मान रहे हैं जिसमें भारत के साथ रणनीतिक रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने के साथ ही तिब्बत की जनता को स्वायत्तता दिलाने में मदद करने की बात एक साथ कही गई है। हाल के महीनों मे तिब्बत की जनता के अधिकारों को लेकर अमेरिका काफी सीधे तौर पर बात करने लगा है जो उसके दशकों की नीतियों से अलग है।

प्रतिनिधि सभा में रिजाल्व तिब्बत एक्ट पारित किया

इसी हफ्ते बुधवार (12 जून) को प्रतिनिधि सभा में रिजाल्व तिब्बत एक्ट पारित किया गया है। कांग्रेस में अमेरिका की दोनों पार्टियों ने संयुक्त तौर पर इसे पारित कराने में मदद की है। अब इस पर राष्ट्रपति जो बाइडन का हस्ताक्षर होना है जिसके बाद यह कानून बन जाएगा। इसका मकसद चीन की सरकार और दलाई लामा के बीच तिब्बत की लंबित समस्या के समाधान के लिए विमर्श की शुरुआत करना है। यह पहला मौका है जब किसी दूसरे देश में तिब्बत को लेकर कोई कानून पारित हुआ है।

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