चीन और भारत : साझा हितों के आधार पर करें सहयोग


बीज‍िंग, 17 मार्च (आईएएनएस)। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने हाल में कहा कि चीन और भारत को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए। साथ ही, दोनों देशों के बीच संबंधों को सीमा मुद्दे से परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए, और विशिष्ट मतभेदों को दोनों देशों के बीच संबंधों की समग्र स्थिति को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

वास्तव में, चीन ने हमेशा दोनों देशों के बीच संबंधों का स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए कोसिश कर रहा है। पर अगर भारत में कुछ व्यक्ति चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाकर अमेरिका को खुश करने की कोशिश करते हैं, तो इससे किसी भी पक्ष के हित में नहीं है।

स्वतंत्रता के बाद भारत ने गुटनिरपेक्ष नीति अपनाकर विभिन्न खेमों के बीच स्वतंत्र कूटनीतिक रेखा बनाए रखी। इससे न केवल यह सुनिश्चित हुआ कि भारत प्रमुख शक्तियों के बीच संघर्षों से दूर रह सके, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों से निपटने में अधिक लाभप्रद स्थिति प्राप्त हुआ। हालांकि, अगर चीन के साथ अपने रुख में अस्पष्ट और झिझक भरा हो, तो उसे पर्याप्त अंतरराष्ट्रीय विश्वास हासिल नहीं होगा। उधर, चीन का विरोध करने के लिए अमेरिका ने भारत को तथाकथित “क्वाड” में शामिल होने के लिए लुभाया, जिसका उद्देश्य चीन के पश्चिम में दरार डालना है, ताकि महत्वपूर्ण क्षण में चीन को रोकने में भूमिका निभाई जा सके। लेकिन अमेरिका द्वारा भारत को दिए जाने वाले लाभ सीमित हैं, और सीमा यह है कि यह अमेरिका के हितों और इच्छाओं के विरुद्ध नहीं हो सकता है। टैरिफ सवाल पर अमेरिका के हालिया रुख से सवाल का स्पष्ट उल्लेख किया जा चुका है।

पिछले वित्तीय वर्ष में चीन-भारत व्यापार 118.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया और चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा। भारत-चीन व्यापार एक दूसरे के पूरक है। स्थिर और सकारात्मक दिशा में द्विपक्षीय संबंधों का विकास चीन और भारत दोनों के लिए लाभदायक है। चीन भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज़ विकास को ख़तरे के तौर पर नहीं देखता, यहाँ तक कि भारत के कई बुनियादी ढाँचे और विनिर्माण उद्योगों की नींव भी चीनी कंपनियों ने ही रखी है। पिछले 15 वर्षों में भारत के कुल औद्योगिक आयात में चीनी उत्पादों की हिस्सेदारी 21 प्रत‍िशत से बढ़कर 30 प्रत‍िशत हो गई है। भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्युटिकल उद्योग चीनी औद्योगिक श्रृंखला पर बहुत अधिक निर्भर हैं। अलीबाबा और टेनसेंट जैसी चीनी कंपनियों की भारतीय यूनिकॉर्न में बड़ी हिस्सेदारी है। भारत की लगभग 70 प्रत‍िशत सक्रिय दवा सामग्री के आयात पर चीन से निर्भर है, और चीनी सौर सेल और मॉड्यूल भारत के कुल आयात का 62.60 प्रत‍िशत हिस्सा हैं।

चीन-भारत व्यापार वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और चीनी घटक भारतीय निर्माताओं को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर माल का उत्पादन करने में सक्षम बनाते हैं। यह पूरक संबंध वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के कुशल संचालन के लिए महत्वपूर्ण है। तथ्य भी है कि सीमा तनाव होने के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध तेजी से विकसित हो रहे, यह दर्शाता है कि चीन-भारत संबंधों का वास्तविक आधार ठोस है, दोनों देश साझा हितों के आधार पर पूर्ण सहयोग कर सकते हैं। जहां तक सीमा मुद्दे का ताल्लुक है, तो सबसे पहली बात यह है कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाए जाएं। जब तक दोनों पक्ष दोनों देशों के नेताओं की सहमति की ओर बढ़ते हैं, तब तक मतभेदों का समाधान केवल समय की बात है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

(साभार—-चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)


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