मोटापे की समस्या से जूझ रहे बच्चे-किशोर, यूएन ने जताई चिंता

संयुक्त राष्ट्र, 12 सितंबर (आईएएनएस)। जंक फूड के बेजा इस्तेमाल ने बच्चों और किशोरों को मोटापे की तरफ धकेल दिया है। इसी का नतीजा है कि पांच से 19 वर्ष की आयु के बच्चे/किशोर मोटापे के शिकार बन रहे हैं। यूनिसेफ ने एक नई रिपोर्ट में इसे लेकर चेतावनी जारी की है।
इस भयावह रिपोर्ट में, यूनिसेफ का अनुमान है कि 2025 में इस आयु वर्ग के लगभग 10 में से एक बच्चे गंभीर रोग से जूझ रहे होंगे, जिसका कारण अल्ट्रा प्रोसेस्ड जंक फूड की आसान उपलब्धता है। एजेंसी के मुताबिक वहां भी, “यहां तक कि उन देशों में भी जो अभी भी बाल कुपोषण से जूझ रहे हैं।”
यूनिसेफ प्रमुख कैथरीन रसेल ने रिपोर्ट जारी कर एक बयान में कहा, “आज जब हम कुपोषण की बात करते हैं, तो हम केवल अंडरवेट बच्चों की बात नहीं कर रहे होते।”
“अल्ट्रा प्रोसेस्ड जंक फूड ऐसे समय में फलों, सब्जियों और प्रोटीन की जगह ले रहे हैं जब पोषण बच्चों के विकास और मेंटल हेल्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”
विश्व में भुखमरी कम करने की लड़ाई कुछ क्षेत्रों में बखूबी लड़ी जा रही है। 190 देशों से एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, 5-19 वर्ष के बच्चे अंडरवेट बच्चों/युवाओं की संख्या कम है। ये 2000 में 13 प्रतिशत था तो 2022 में घटकर 10 प्रतिशत हो गई है। लेकिन इसी अवधि में, इस आयु वर्ग में ओवरवेट बच्चों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। 2000 में संख्या 19.4 करोड़ थी, तो 2022 में 39.1 करोड़ तक पहुंच गई।
रुझानों को देखते हुए, यूनिसेफ का मानना है कि इस वर्ष “एक ऐतिहासिक मोड़” आया है; इस आयु वर्ग का ओबेसिटी रेट 9.4 प्रतिशत रहा, तो अंडरवेट बच्चों का आंकड़ा 9.2 प्रतिशत रहा।
अनुमान के अनुसार, 18.8 करोड़ बच्चे और किशोर मोटापे से जूझ रहे हैं।
यूनिसेफ ने स्पष्ट रूप से कहा कि इसका मुख्य कारण गलत भोजन का चुनाव ही नहीं, बल्कि लाभ कमाने के लिए अपनाई गई अनैतिक व्यावसायिक प्रथाएं भी हैं। यूनिसेफ ने कहा कि दोष न तो बच्चों का है और न ही उनके परिवारों का, बल्कि “समाज की उस वातावरण की रक्षा करने में विफलता का है जिसमें बच्चे बड़े होते हैं।”
ऐतिहासिक रूप से, अधिक विकसित देशों में ओवरवेट बच्चों की दर अच्छी खासी है। कुछ देशों के लिए यह स्थिति दोहरे अभिशाप से कम नहीं। ये देश ऐसे हैं जो कुपोषण और मोटापे, दोनों की मार झेल रहे हैं।
–आईएएनएस
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