मुख्यमंत्री योगी ने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के कार्यों की समीक्षा की, दिए जरूरी दिशा-निर्देश

लखनऊ, 17 मई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। उन्होंने निर्देश दिए कि 15 जून से पहले सभी बाढ़ बचाव से जुड़े कार्यक्रम पूर्ण कर लिए जाएं ताकि संभावित प्राकृतिक आपदा से पहले तैयारी सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश फ्लड प्लेन जोनिंग के क्षेत्र में देश के अन्य राज्यों से आगे है। प्रदेश में बाढ़ बचाव से जुड़ी कार्य योजना समय पर पूरी होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि विगत आठ वर्षों में राज्य में 1,665 बाढ़ परियोजनाएं पूर्ण हुई हैं, जिससे 40.72 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल को सुरक्षा प्राप्त हुई और 319.14 लाख की आबादी लाभान्वित हुई है। प्रत्येक परियोजना गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध ढंग से पूरी की जाए ताकि मानसून के दौरान आने वाली बाढ़ के प्रभाव को कम से कम किया जा सके। सीएम ने यह भी कहा कि बाढ़ बचाव की दीर्घकालिक रणनीति में नदी ड्रेजिंग एवं चैनलाइजेशन ही सबसे प्रभावी समाधान है। वर्ष 2018 से 2025 के बीच 60 नदियों की ड्रेजिंग परियोजनाएं पूरी की गई हैं, जिससे 4.07 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को लाभ मिला है और 23 लाख से अधिक जनसंख्या को राहत मिली है।
सीएम योगी ने नदी पुनरोद्धार अभियान को युद्धस्तर पर चलाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने निर्देश दिया कि सिंचाई, राजस्व, नमामि गंगे और नगर विकास विभाग आपसी समन्वय बनाकर लुप्तप्राय नदियों को पुनर्जीवित करें। उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रदूषित नदियों को स्वच्छ करना राज्य की प्राथमिकता है और किसी भी औद्योगिक अपशिष्ट को नदियों में जाने नहीं दिया जाए। सीएम योगी ने यह निर्देश दिया कि नमामि गंगे एवं सिंचाई विभाग मिलकर यमुना नदी की सफाई, चैनलाइजेशन और नालों की टैपिंग के कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाएं। उन्होंने विशेष रूप से काशी की वरुणा और अस्सी नदियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इनका ऐतिहासिक महत्व है और इन्हें पुनर्जीवित किया जाना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि वरुणा नदी पर रिवर फ्रंट का निर्माण करें और रिजर्वायर एवं चेक डैम बनाकर उसके पानी को सिंचाई के उपयोग में लाया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्सी नदी के पुनर्जीवन का कार्य भी जल्द प्रारंभ किया जाए। प्रदेश में मौजूद सभी रिजर्वायर की मरम्मत और डिसिल्टिंग का कार्य समयबद्ध ढंग से किया जाए और नए रिजर्वायर बनाने की योजना तैयार की जाए। साथ ही मुजफ्फरनगर में शुक्रताल तीर्थ की तर्ज पर विदुर कुटी में गंगा की धारा लाने की योजना पर भी तेजी से कार्य किया जाए।
उन्होंने बताया कि पिछले आठ वर्षों में 1,129 सिंचाई परियोजनाएं पूर्ण हुई हैं, जिससे 50,19,640 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा सृजित हुई है और 2,16,88,493 कृषकों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि सरयू नहर, बाणसागर और अर्जुन सहायक परियोजनाएं अब पूरी हो चुकी हैं और मिशन मोड में इनके माध्यम से किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का कार्य किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ध्यान रहे कि अन्नदाता को सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता में कोई कमी न होने पाए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बाढ़ और सूखे जैसी विपदाओं को केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रशासनिक तत्परता से रोकी जा सकने वाली चुनौती मानती है। पूर्व तैयारी और ठोस जल नीति के माध्यम से प्रदेश को जल संकट से मुक्त और किसानों को समृद्ध किया जा सकता है।
–आईएएनएस
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