मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश की


नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस सूर्यकांत का नाम कानून मंत्रालय को भेजा है। उन्होंने इस संबंध में औपचारिक चिट्ठी लिखी है। यह कदम उस समय आया, जब पिछले दिनों कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई से उनके उत्तराधिकारी का नाम प्रस्तुत करने का अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और वरिष्ठता क्रम में पहले स्थान पर हैं, न्यायमूर्ति गवई के सेवानिवृत्त होने पर पदभार ग्रहण करेंगे।

जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनके रिटायर होने के अगले दिन यानी 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। उनके कार्यकाल की अवधि लगभग 14 महीने होगी और वे 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे।

न्यायमूर्ति गवई ने मई 2025 में भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला।

परंपरा के अनुसार, कानून मंत्रालय मुख्य न्यायाधीश से उनकी सेवानिवृत्ति से लगभग एक महीने पहले उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगता है। इसके बाद वर्तमान चीफ जस्टिस औपचारिक रूप से पद छोड़ने से लगभग 30 दिन पहले, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को ‘पद धारण करने के लिए उपयुक्त’ मानते हुए उनकी सिफारिश करते हैं।

न्यायिक नियुक्तियों के मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश, जिन्हें इस पद के लिए उपयुक्त माना जाता है, को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है।

सीजेआई गवई की सिफारिश भेजे जाने के बाद सरकार जल्द ही न्यायमूर्ति सूर्यकांत की नियुक्ति की अधिसूचना जारी करने की उम्मीद है।

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उन्होंने 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से स्नातक की डिग्री और 1984 में रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। जस्टिस सूर्यकांत के बारे में सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, उन्होंने हिसार जिला न्यायालय से वकालत शुरू की और बाद में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत करने के लिए चंडीगढ़ चले गए।

जस्टिस सूर्यकांत 7 जुलाई 2000 को हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने। मार्च 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। 9 जनवरी 2004 को उन्हें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

उन्होंने 5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला और 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। 12 नवंबर 2024 से वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेस कमिटी के अध्यक्ष भी हैं।

–आईएएनएस

डीसीएच/


Show More
Back to top button