छांगुर बाबा एक विवादास्पद धर्म प्रचारक, जो लंबे समय से धर्मांतरण में लिप्त : आनंद परांजपे


मुंबई, 17 जुलाई (आईएएनएस)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता आनंद परांजपे ने गुरुवार को आईएएनएस से बातचीत में उत्तर प्रदेश के छांगुर बाबा से जुड़े धर्मांतरण और मनी लॉन्ड्रिंग मामले, मुंबई में मराठी भाषा को लेकर हिंसा, दिल्ली में विपक्ष की एकजुटता, असम में राहुल गांधी के बयान और बिहार में कानून-व्यवस्था और मतदाता सूची पर बयान दिया।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में छांगुर बाबा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी पर कहा कि छांगुर बाबा एक विवादास्पद धर्म प्रचारक है, जो लंबे समय से धर्मांतरण में लिप्त है। उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार को शिकायतें मिली थीं। ईडी ने बलरामपुर में 12 और मुंबई में 2 ठिकानों पर छापे मारे, जो मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी फंडिंग से जुड़े हैं। ईडी ने पुख्ता सबूतों के आधार पर कार्रवाई की होगी। ऐसे बाबाओं के खिलाफ भारत सरकार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने मराठी भाषा विवाद पर कहा कि महाराष्ट्र की भाषा मराठी है और बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को इसका सम्मान करना चाहिए। मराठी नहीं बोलने वालों को इसे सीखने का प्रयास करना चाहिए। किसी के मराठी न बोलने या उसका अपमान करने पर शिकायत दर्ज करानी चाहिए, लेकिन मारपीट गलत है। इससे मराठी की गरिमा नहीं बढ़ेगी। मराठी सिखाने और उसकी गरिमा बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

दिल्ली में संसद सत्र से पहले विपक्षी दलों की बैठकों में आम आदमी पार्टी (आप) को शामिल न किए जाने पर परांजपे ने कहा कि इंडिया गठबंधन में दरार दिख रही है। लोकसभा चुनाव में विपक्ष एकजुट था, लेकिन अब ‘आप’ को किनारे कर दिया गया है। केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से सत्ता हासिल की, लेकिन अब उन पर ही शराब नीति घोटाले जैसे आरोप हैं। वह जमानत पर हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने असम में राहुल गांधी के दिए बयान पर कहा कि लोकतंत्र में ऐसी भाषा किसी राष्ट्रीय नेता को शोभा नहीं देती। हिमंता बिस्वा सरमा जनता द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री हैं। राहुल गांधी, जो खुद जमानत पर हैं, को ऐसी टिप्पणी से बचना चाहिए। उन्होंने ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ करार देते हुए कहा कि असम में कांग्रेस की वापसी मुश्किल है।

बिहार में कानून-व्यवस्था पर परांजपे ने कहा, “विवादित बयान देने वाले एडीजी रैंक के अधिकारी के खिलाफ बिहार सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी उनकी है और ऐसे बेतुके बयान से जनता का भरोसा टूटता है।”

उन्होंने बिहार में मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम पर कहा कि इलेक्शन कमीशन एक स्वायत्त संस्था है, जिसे संविधान ने मतदाता सूची की जांच का अधिकार दिया है। बिहार में गलत पते वाले नाम हटाए गए। ममता बनर्जी का धमकी देना गलत है। विपक्ष हार के बाद ईवीएम और मतदाता सूची पर दोष मढ़ता है, लेकिन कमीशन को अपना काम करने देना चाहिए। पश्चिम बंगाल में भी मतदाता सूची की जांच जरूरी है और राज्य सरकार को इसमें सहयोग करना चाहिए।

–आईएएनएस

एसएचके/एबीएम


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