मोटापे के विकास में मस्तिष्क की केंद्रीय भूमिका : शोध

नई दिल्ली, 2 मार्च (आईएएनएस)। हाल ही में किए गए एक नए अध्ययन में टाइप-2 मधुमेह और मोटापे की उत्पत्ति को लेकर मस्तिष्क की महत्वपूर्ण भूमिका पर नई जानकारी सामने आई है।
इस अध्ययन में मस्तिष्क को एक प्रमुख नियंत्रण केंद्र बताया गया है, जो मोटापे के विकास में अहम भूमिका निभाता है। अध्ययन के अनुसार, मोटापे के विकास में इंसुलिन हार्मोन की अहम भूमिका होती है। शोध से संकेत मिले हैं कि इंसुलिन मस्तिष्क में न्यूरोडीजेनेरेटिव और मेटाबॉलिक विकारों का कारण बन सकता है।
जर्मनी के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ टूबिंगन, जर्मन सेंटर फॉर डायबिटीज रिसर्च (डीजेडडी) और हेल्महोल्ट्स म्यूनिख के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में नई बातें पता चली हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि अस्वास्थ्यकर आहार और लगातार वजन बढ़ने का संबंध मस्तिष्क की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता से जुड़ा हुआ है। इंसुलिन मस्तिष्क में भूख को दबाने का काम करता है, लेकिन मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में यह ठीक से काम नहीं करता है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।
प्रोफेसर डॉ. स्टेफनी कुलमैन और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए इस अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि अत्यधिक प्रसंस्कृत, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का कम समय के लिए सेवन भी मस्तिष्क में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है, जो भविष्य में मोटापे और टाइप 2 मधुमेह का कारण बन सकता है। स्वस्थ व्यक्तियों में भी उच्च कैलोरी सेवन के बाद मस्तिष्क में इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता में कमी देखी गई।
अध्ययन को उसके अंतिम स्वरूप में लिखने वाले प्रोफेसर डॉ. एंड्रियास बिरकेनफेल्ड ने कहा कि वजन बढ़ने से पहले मस्तिष्क में इंसुलिन प्रतिक्रिया छोटे बदलावों के साथ अनुकूल हो जाती है, जिससे मोटापे और अन्य बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि मस्तिष्क की इंसुलिन प्रतिक्रिया मोटापे और अन्य चयापचय संबंधी बीमारियों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है, तथा इस पर और अधिक शोध करने की आवश्यकता है।
–आईएएनएस
पीएसएम/एकेजे