केंद्र सरकार ने पीएलआई स्कीम में आवेदन करने के लिए दवा कंपनियों को किया आमंत्रित

नई दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)। डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) के तहत नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने के लिए दवा कंपनियों से आवेदन मांगे हैं।
केंद्र सरकार की ओर से यह आवेदन 11 मुख्य फार्मास्युटिकल उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए मांगे गए है।
सरकार के इस कदम का उद्देश्य भारत में दवाओं के मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को मजबूत करना है।
जिन उत्पादों के लिए पीएलआई स्कीम लाई गई है। उनमें जरूरी एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक जैसे कि नियोमाइसिन, जेंटामाइसिन, एरिथ्रोमाइसिन, स्ट्रेप्टोमाइसिन, टेट्रासाइक्लिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन और डिक्लोफेनाक सोडियम शामिल हैं।
दवा कंपनियों के लिए पीएलआई स्कीम में आवेदन करने की अंतिम तारीख 14 जून है।
पीएलआई स्कीम का लाभ लेने के लिए सरकार ने कंपनियों के सामने कुछ शर्तें भी रखी हैं और उपलब्ध क्षमता, प्रत्येक उत्पाद के लिए निर्धारित सीमा और उत्पादन समय-सीमा के आधार पर प्रोत्साहन प्रदान किए जाएंगे।
रासायनिक संश्लेषण उत्पादों के लिए प्रोत्साहन अवधि वित्तीय वर्ष 2027-28 तक रहेगी, जबकि किण्वन आधारित उत्पादों के लिए यह 2028-29 तक रहेगी।
हालांकि, जिन कंपनियों को पहले मंजूरी मिल चुकी थी और बाद में उन्होंने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया या उनकी मंजूरी रद्द कर दी गई, वे फिर से आवेदन करने के लिए पात्र नहीं हैं।
फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (फार्मेक्सिल) ने अपने सदस्यों को इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
फार्मेक्सिल के महानिदेशक राजा भानु ने कहा कि यह योजना कंपनियों को आवश्यक दवा इंग्रेडिएंट्स में अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ाने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
दवा उद्योग के लिए पीएलआई योजना पहली बार 2020 में शुरू की गई थी और बाद में उद्योग की जरूरतों के हिसाब से इसे संशोधित किया गया। इसमें कुल 41 उत्पाद शामिल हैं और इसका वित्तीय परिव्यय 6,940 करोड़ रुपए है।
सरकार करीब 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाएं शुरू कर चुकी हैं। इनमें थोक दवाएं, चिकित्सा उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य प्रसंस्करण और ऑटोमोबाइल शामिल हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2024 तक इन योजनाओं के तहत लगभग 764 आवेदनों को मंजूरी दी गई थी, जिससे 1.61 लाख करोड़ रुपए (लगभग 18.7 बिलियन डॉलर) का निवेश हुआ। सरकार ने अब तक 10 क्षेत्रों के तहत प्रोत्साहन के रूप में 14,020 करोड़ रुपए वितरित किए हैं।
–आईएएनएस
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