गरीबी दूर करने में सहायक कई योजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने पैसे नहीं दिए : झारखंड के वित्त मंत्री

रांची, 9 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने 11 साल पूरे कर लिए हैं, एनडीए सरकार का के तीसरे टर्म का एक साल पूरा हो गया है। इसको लेकर पक्ष और विपक्ष में राजनीतिक बयानबाजी तेज है। जहां एक ओर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मोदी सरकार के 11 वर्षों का रिपोर्ट कार्ड पेश किया, वहीं विपक्ष ने इसको लेकर निशाना साधा। झारखंड के वित्तमंत्री राधा कृष्ण किशोर ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने गरीबी दूर करने वाली कई योजनाओं के लिए पैसे नहीं दिए।
हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार में वित्त मंत्री एवं कांग्रेस नेता राधा कृष्ण किशोर ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “झारखंड में तो नहीं दिखाई पड़ता है कि गरीबी दूर हो गई। गरीबी दूर करने वाली बहुत सारी ऐसी योजनाएं हैं, जिसके लिए भारत सरकार को पैसा देना था, जिसमें मनरेगा, जल जीवन मिशन योजना, राष्ट्रीय दिव्यांग योजना शामिल हैं। इनमें सैकड़ों करोड़ रुपए बाकी हैं, जिसमें आज तक पैसा नहीं मिला है। ऐसे में देश से सरकार कैसे गरीबी हटा सकती है।”
उन्होंने कहा, “मैं पूरे देश का हाल नहीं जानता, लेकिन झारखंड के परिप्रेक्ष्य में गरीबी दूर नहीं हुई है। ऐसे में मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड गलत प्रमाणित होता है। भाजपा से विकास की बात अच्छी नहीं लगती है। उनसे यह बात अपेक्षित है कि बताएं कि वह पिछले 11 वर्षों में हिंदुओं को एकजुट करने में कितना कामयाब हुए हैं। भाजपा वालों को इसका रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए।”
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए 9 जून को 11 साल पूरे हो गए। भाजपा नेता पीएम मोदी के नेतृत्व में देश के 11 साल के कार्यकाल की जमकर तारीफ कर रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एनडीए सरकार के 11 साल की खूबियां गिनाईं।
जेपी नड्डा ने पूर्व की सरकारों की खामियां गिनाते हुए कहा, “2014 से पहले पिछली सरकार भ्रष्टाचार और नकारात्मकता से भरी हुई थी। लेकिन 2014 के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में यह भावना बदल गई। अब लोग गर्व से कहते हैं, मोदी है तो मुमकिन है। हम गरीबी हटाओ का नारा लेकर नहीं चले हैं, हमने गरीब कल्याण करके दिखाया है। आंकड़े इस बात का सबूत हैं। देश में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। इसी तरीके से अति गरीबी में 80 प्रतिशत की कमी आई है।”
–आईएएनएस
एससीएच/जीकेटी