केंद्र सरकार ने दी जातिगत जनगणना को मंजूरी, नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी ने बताया ऐतिहासिक कदम


नई दिल्ली, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को देश में जातिगत जनगणना को मंजूरी दे दी। इसके बाद सरकार को बधाइयों का तांता लग गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सेकुलर के सुप्रीमो एवं केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी ने सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक और स्वागत योग्य बताया है।

नीतीश कुमार ने एक्स पर किए पोस्ट में कहा, “जाति गणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है। जाति जनगणना कराने की हम लोगों की मांग पुरानी है। यह बेहद खुशी की बात है कि केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है। जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा, इससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी। इससे देश के विकास को गति मिलेगी। जाति जनगणना कराने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन तथा धन्यवाद।”

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी ने एक्स पोस्ट में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा आने वाले समय में जाति जनगणना कराने का फैसला ऐतिहासिक और अत्यंत स्वागत योग्य है! यह उन नेताओं के लिए भी एक सबक है, जो जातीय जनगणना का राग तो बहुत अलापते रहे, लेकिन दशकों तक सत्ता में रहने पर भी कुछ नहीं किया। जो लोग मोदी सरकार की नीयत पर शक करके जाति जनगणना के मुद्दे पर दिन-रात राजनीति करते थे, वे अब कौन सा नया पैंतरा अपनाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।”

बता दें कि कैबिनेट बैठक में जाति जनगणना को भी मंजूरी दे दी गई है। सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया है। 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई। जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है।

उन्होंने आगे कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। तत्पश्चात एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाय, सर्वे कराना ही उचित समझा, जिसे सीईसीसी के नाम से जाना जाता है।

उन्होंने आगे कहा कि इन सब के बावजूद कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दलों ने जाति जनगणना के विषय को केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया।

–आईएएनएस

पीएसएम/सीबीटी


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