'नेशनल वाटरवे रेगुलेशन' प्राइवेट प्लेयर्स के लिए अवसरों के नए दरवाजे खोलेगा : केंद्र


नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए कहा कि नेशनल वाटरवे (जेट्टी/टर्मिनलों का निर्माण) रेगुलेशन, 2025, को टर्मिनलों की स्थापना में प्राइवेट सेक्टर के निवेश को लाने, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और भारत के विशाल जलमार्ग नेटवर्क के कुशल उपयोग को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है।

विनियमनों के लागू होने से, प्राइवेट संस्थाएं अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनलों के विकास और विस्तार में अधिक भूमिका निभाएंगी, जिससे इस क्षेत्र के विकास में योगदान मिलेगा।

बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के तहत भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) द्वारा तैयार यह इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ाने और व्यापार करने में आसानी में सुधार करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के मार्गदर्शन में, आईडब्ल्यूएआई ने आर्थिक विकास के प्रमुख इंजन के रूप में जलमार्गों को विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

पिछले दशक में राष्ट्रीय जलमार्गों पर माल की आवाजाही में वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 18 मिलियन टन से बढ़कर 133 मिलियन टन हो गई है।

यह प्रगति सस्टेनेबल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने और डिजिटलीकरण और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर व्यापार करने में आसानी बढ़ाने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

इसके अतिरिक्त, हाल ही में शुरू की गई जलवाहक योजना से प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस योजना का उद्देश्य राष्ट्रीय जलमार्गों पर मौजूदा 4,700 मिलियन टन किलोमीटर से लगभग 17 प्रतिशत तक कार्गो परिवहन को प्रोत्साहित करना है।

प्राइवेट प्लेयर्स सहित संस्थाओं को जेटी और टर्मिनल विकसित करने और संचालित करने में सक्षम बनाकर, ये नियम निवेश, व्यापार और आर्थिक विकास के नए अवसर खोलते हैं, साथ ही लॉजिस्टिकल दक्षता में भी सुधार करते हैं।

नए नियमों के तहत, प्राइवेट सहित कोई भी संस्था, जो राष्ट्रीय जलमार्ग पर अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनल विकसित या संचालित करना चाहती है, उसे आईडब्ल्यूएआई से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (एनओसी) प्राप्त करना होगा।

मौजूदा और नए टर्मिनल, चाहे वे स्थायी हों या अस्थायी, इन विनियमों के अंतर्गत आते हैं।

मंत्रालय ने कहा कि स्थायी टर्मिनलों को ऑपरेटर द्वारा आजीवन बनाए रखा जा सकता है, जबकि अस्थायी टर्मिनलों की अवधि आरंभिक पांच वर्ष होगी, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है।

–आईएएनएस

एसकेटी/


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