उपचुनाव के नतीजों पर विपक्षी दलों के नेताओं का जश्न, दिल बहलाने के लिए अच्छा ख्याल है- अमित मालवीय

उपचुनाव के नतीजों पर विपक्षी दलों के नेताओं का जश्न, दिल बहलाने के लिए अच्छा ख्याल है- अमित मालवीय

नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के बाद हुए देश के अलग-अलग राज्यों के कुल 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में 10 पर इंडिया ब्लॉक के घटक दलों को 2 पर बीजेपी को तो एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। ऐसे में इंडी गठबंधन के सभी घटक दलों के नेताओं की तरफ से इस पर प्रतिक्रिया आ रही है और सभी इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि जनता का भरोसा इंडी गठबंधन पर बढ़ा है और उन्होंने भाजपा को नकार दिया है।

कांग्रेस नेता और लोकसभा में एलओपी राहुल गांधी ने तो अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर लिखा कि को जीत मिली है। उन्होंने लिखा,”7 राज्यों में हुए उपचुनाव के नतीजों ने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा द्वारा बुना गया ‘भय और भ्रम’ का जाल टूट चुका है। किसान, नौजवान, मज़दूर, व्यापारी और नौकरीपेशा समेत हर वर्ग तानाशाही का समूल नाश कर न्याय का राज स्थापित करना चाहता है। अपने जीवन की बेहतरी और संविधान की रक्षा के लिए जनता अब पूरी तरह से इंडी गठबंधन के साथ खड़ी है। जय हिंदुस्तान, जय संविधान।”

इसी को लेकर भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर कांग्रेस और इंडी गठबंधन के अन्य दलों के नेताओं को करारा जवाब दिया है। अमित मालवीय ने इस पोस्ट में लिखा है। ये नतीजे इंडी एलायंस की हताशा की स्थिति में किसी तरह अच्छा महसूस करने के प्रयास के अलावा कुछ नहीं है।

उन्होंने आगे लिखा कि इस नतीजे पर इंडी गठबंधन और खासकर कांग्रेस के नेता जैसा जश्न मना रहे हैं नतीजों में तो ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने देश के अलग-अलग राज्यों के कुल 13 विधानसभा सीटों का पूरा लेखा-जोखा लिखकर इस पर पोस्ट किया है।

उन्होंने सवाल भरे लहजे में लिखा कि क्या इंडी गठबंधन उपचुनाव में जीत का जश्न मना रही है? ऐसी क्या खुशी उन्हें मिली है?

बंगाल में 4 सीटों पर उपचुनाव में पूरी तरह धांधली हुई। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मतदान की कोई झलक वहां नहीं दिखी। कुछ सीटों पर कांग्रेस ने टीएमसी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। क्या यह इंडी गठबंधन की जीत है या टीएमसी द्वारा मतदाताओं को डराने और राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करने जैसा लग रहा है? अच्छे उम्मीदवारों की कमी के कारण टीएमसी को चार में से दो सीटों पर पूर्व भाजपा विधायकों को मैदान में उतारना पड़ा।

बात हिमाचल प्रदेश की करें तो यहां 3 सीटों पर उपचुनाव हुए थे। यहां कांग्रेस सत्ता में है। लेकिन, बीजेपी ने हमीरपुर सीट जीत लिया। नालागढ़ और देहरा में कांग्रेस की जीत हुई। कांग्रेस को निराश होना चाहिए कि वे सत्ता में होने के बावजूद तीनों सीटें नहीं जीत सके।

वहीं उत्तराखंड में हुए दो सीटों पर उपचुनाव में बदरीनाथ सीट पर गौर करें तो यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच बारी-बारी से जीत-हार का सिलसिला चलता रहा है। 2012 (कांग्रेस), 2017 (बीजेपी), 2022 (कांग्रेस) और अब 2024 में कांग्रेस ने सीट बरकरार रखी है। कांग्रेस विधायक के दलबदल करने के कारण चुनाव की यहां आवश्यकता पड़ी। इसमें जश्न मनाने वाली क्या बात है? मंगलौर की सीट से कांग्रेस के काजी मोहम्मद निज़ामुद्दीन जीते उसके पीछे की वजह देवभूमि में जनसांख्यिकीय बदलाव है।

इसके साथ तमिलनाडु के एक सीट पर जो उपचुनाव हुआ क्या डीएमके को इस सीट पर हार की उम्मीद थी? मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है और यहां 1 सीट पर हुए उपचुनाव में जैसी कि उम्मीद थी, सत्तारूढ़ भाजपा की जीत हुई। बिहार की बात करें तो यहां विधानसभा की 1 सीट पर हुए उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई है। इंडी गठबंधन की तरफ से यहां उतारे गए राजद के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे हैं। वहीं पंजाब में 1 विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आशा के अनुरूप सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी जीती है। क्योंकि वह यहां सत्ता में हैं।

–आईएएनएस

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