सीबीआई ने 57.47 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड मामले में रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और प्रमोटर्स पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया


मुंबई, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। सीबीआई ने मंगलवार को रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) और प्रमोटर्स के खिलाफ बैंक फ्रॉड मामले में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया है।

इस फ्रॉड के कारण बैंक ऑफ महाराष्ट्र को 57.47 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

सीबीआई ने बयान में कहा कि रिलायंस एडीए समूह की कंपनी आरसीएफएल, उसके प्रमोटरों/निदेशकों और अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक कदाचार के आरोपों पर मामला दर्ज किया गया है।

सीबीआई ने बयान में आगे कहा, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड के ऋण खाते को बैंक द्वारा 25 मार्च, 2020 को एनपीए घोषित किया गया था और साथ ही, इस खाते को 4 अक्टूबर, 2025 को बैंक ऑफ महाराष्ट्र को 57.47 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के लिए फ्रॉड के रूप में भी वर्गीकृत किया गया था।

सीबीआई ने कहा, “आरसीएफएल ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र सहित 31 बैंकों/वित्तीय संस्थानों/एनबीएफसी/कॉर्पोरेट निकायों आदि से 9,280 करोड़ रुपए का ऋण लिया था। आरोपी कंपनी द्वारा सभी बैंकों/वित्तीय संस्थानों आदि के साथ धोखाधड़ी करने के आरोपों की गहन जांच की जाएगी।”

जांच एजेंसी ने मुंबई के विशेष सीबीआई न्यायाधीश की अदालत से तलाशी वारंट प्राप्त किया और 9 दिसंबर को मुंबई में आरसीएफएल के आधिकारिक परिसर और पुणे में कंपनी के निदेशक देवांग प्रवीण मोदी के आवासीय परिसर में तलाशी शुरू की।

सीबीआई ने कहा, “तलाशी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए हैं और उन्हें अपने कब्जे में लिया जा रहा है। तलाशी जारी है।”

दूसरी तरफ, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस पावर लिमिटेड और 10 अन्य के खिलाफ चार्जशीट को दायर कर दिया है। यह मामला रिलायंस पावर लिमिटेड द्वारा सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) को उसके द्वारा जारी एक टेंडर हासिल करने के लिए जमा की गई 68 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी से संबंधित है। ईडी ने अपराध से अर्जित 5.15 करोड़ रुपए की राशि भी जब्त कर ली है।

रिलायंस पावर लिमिटेड ने बयान में कहा, “ईडी के आरोपों की अभी तक न्यायिक जांच नहीं हुई है और कंपनी को किसी भी गलत काम का दोषी नहीं ठहराया गया है।”

कंपनी ने एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा, “सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय कानून के अनुसार, कंपनी को संज्ञान लेने से पहले ही अदालत के समक्ष अपना मामला और तथ्य रखने का अवसर मिलेगा, इसलिए इस शिकायत के दर्ज होने से कंपनी के कामकाज पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ेगा।”

–आईएएनएस

एबीएस/


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