दिल्ली-एनसीआर में गाड़ियों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सीएक्यूएम ने बनाई एक्सपर्ट कमेटी

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है और इसके बड़े कारणों में से एक वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण है। वाहनों से निकलने वाले पीएम 2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड जैसे खतरनाक तत्व स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (सीएक्यूएम) ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की है।
यह समिति वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने की प्रभावी रणनीति तैयार करेगी। इसमें देश के प्रमुख शैक्षणिक विशेषज्ञ, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, ऑटोमोटिव रिसर्च संस्थानों के प्रतिनिधि और इस क्षेत्र के अन्य जानकार शामिल किए गए हैं। समिति की अध्यक्षता आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला कर रहे हैं, जबकि सह-अध्यक्ष पूर्व एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया हैं।
अन्य सदस्यों में आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मुकेश शर्मा, लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अरविंद कुमार, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर साग्निक डे, नीति आयोग की सलाहकार अर्चना मित्तल, पुणे के एआरएआई के निदेशक डॉ. रेजी मथाई, मानेसर के आईसीएटी के निदेशक सौरभ दलेला, सीईईडब्ल्यू के सीईओ डॉ. अरुणाभ घोष, सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी, आईसीसीटी के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित भट्ट और टीईआरआई की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अंजू गोयल शामिल हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर या उससे ऊपर के अधिकारी भी सदस्य हैं। समिति के संयोजक सीएक्यूएम के तकनीकी सदस्य डॉ. वीरेंद्र शर्मा हैं।
समिति दिल्ली-एनसीआर में स्वच्छ गतिशीलता से जुड़ी नीतियों, कार्यक्रमों और नियामक ढांचे की समीक्षा करेगी, जिसमें भारत स्टेज उत्सर्जन मानक, इलेक्ट्रिक गतिशीलता पहल और ईंधन दक्षता मानक शामिल हैं। वह विभिन्न प्रकार के वाहनों से होने वाले प्रदूषण के योगदान और इससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन करेगी और उत्सर्जन कम करने के लिए नियामक उपायों की सिफारिश करेगी। समिति इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेजी से बदलाव के लिए तकनीकी तैयारी, बुनियादी ढांचे की जरूरत, लागत प्रभाव और प्रोत्साहन योजनाओं की जांच भी करेगी। जरूरत पड़ने पर वह अन्य उपाय भी सुझाएगी।
समिति दो महीने के अंदर अपनी सिफारिशें सौंपेगी। वह जरूरत पड़ने पर हितधारकों से परामर्श ले सकती है और बीच में अंतरिम सिफारिशें भी दे सकती है। समिति अतिरिक्त विशेषज्ञों या संस्थानों को भी शामिल कर सकती है। इसकी पहली बैठक 15 दिसंबर को होगी। इस समिति के गठन से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता सुधारने और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए वैज्ञानिक आधार पर नीतिगत कदम उठाने की उम्मीद बढ़ गई है।
–आईएएनएस
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