कैबिनेट ने हरित ऊर्जा अभियान को गति देने के लिए एनएलसीआईएल के निवेश नियमों को बनाया आसान


नई दिल्ली, 16 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने बुधवार को एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) को नवरत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों पर लागू मौजूदा निवेश दिशानिर्देशों से विशेष छूट को मंजूरी दे दी।

सीसीईए बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस रणनीतिक निर्णय से एनएलसीआईएल अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल्स लिमिटेड (एनआईआरएल) में 7,000 करोड़ रुपए का निवेश कर सकेगी और बदले में एनआईआरएल पूर्व अप्रूवल की आवश्यकता के बिना सीधे या संयुक्त उद्यम बनाकर विभिन्न परियोजनाओं में निवेश कर सकेगी।

बयान में बताया गया है कि इस निवेश को सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) द्वारा संयुक्त उद्यमों और सहायक कंपनियों में सीपीएसई द्वारा समग्र निवेश के लिए निर्धारित 30 प्रतिशत शुद्ध मूल्य सीमा से भी छूट दी गई है, जिससे एनएलसीआईएल और एनआईआरएल को बेहतर संचालन और वित्तीय अनुकूलन प्राप्त होगा।

इस छूट का उद्देश्य एनएलसीआईएल के 2030 तक 10.11 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी (आरई) क्षमता विकसित करने और 2047 तक इसे 32 गीगावाट तक विस्तारित करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करना है।

यह अप्रूवल सीओपी (कॉप) 26 के दौरान कार्बन उत्सर्जन से मुक्त अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु भारत की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।

बयान में कहा गया है कि देश ने पंचामृत लक्ष्यों और 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के तहत 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता का निर्माण करने का संकल्प लिया है।

एक महत्वपूर्ण विद्युत उत्पादक और नवरत्न सीपीएसई के रूप में एनएलसीआईएल इस परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इस निवेश के माध्यम से, एनएलसीआईएल अपने रिन्यूएबल एनर्जी पोर्टफोलियो का पर्याप्त विस्तार करना चाहता है और राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर जलवायु अनुकूल कार्रवाई के उद्देश्यों में सार्थक योगदान देना चाहता है।

वर्तमान में, एनएलसीआईएल 2 गीगावाट की कुल स्थापित क्षमता वाली सात रिन्यूएबल एनर्जी परिसंपत्तियों का संचालन करती है, जो या तो चालू हैं या वाणिज्यिक संचालन के करीब हैं।

कैबिनेट की इस मंज़ूरी के बाद ये परिसंपत्तियां एनआईआरएल को हस्तांतरित कर दी जाएंगी। एनएलसीआईएल की हरित ऊर्जा संबंधी पहलों के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में परिकल्पित एनआईआरएल, रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में नए अवसरों की पूरी सक्रियता से खोज कर रहा है, जिसमें नई परियोजनाओं के लिए प्रतिस्पर्धी बोली में भागीदारी भी शामिल है।

इस मंज़ूरी से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने, कोयले के आयात को कम करने और देश भर में 24 घंटे 7 दिन बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता बढ़ाकर भारत की हरित ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी स्थिति को मजबूत करने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एसकेटी/


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