दिसंबर में विदेशी संस्थागत निवेशकों की खरीदारी 22,765 करोड़ रुपये पर पहुंची, निरंतर एफआईआई बिक्री का खत्म हुआ दौर

दिसंबर में विदेशी संस्थागत निवेशकों की खरीदारी 22,765 करोड़ रुपये पर पहुंची, निरंतर एफआईआई बिक्री का खत्म हुआ दौर

मुंबई, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। आर्थिक वृद्धि में तेजी के कारण इस महीने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की खरीदारी भारतीय शेयर बाजारों के जरिए जारी रही और यह 14,435 करोड़ रुपये (13 दिसंबर तक) पर पहुंच गई।

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार, एक्सचेंज खरीदारी और ‘प्राथमिक बाजार और अन्य श्रेणी’ के जरिए खरीदारी सहित एफआईआई की कुल खरीदारी का आंकड़ा (13 दिसंबर तक) 22,765 करोड़ रुपये रहा।

जानकारों ने शनिवार को कहा कि अक्टूबर और नवंबर में लगातार बिकवाली के बाद दिसंबर में एफआईआई के खरीदार बनने से नवंबर के निचले स्तर से बाजार में सुधार आया है।

एफआईआई की खरीदारी ने लार्जकैप, खासकर बैंकिंग और आईटी सेक्टर में तेजी को बढ़ावा दिया है।

वॉटरफिल्ड एडवाइजर्स के वरिष्ठ निदेशक-सूचीबद्ध निवेश विपुल भोवर के अनुसार, भारतीय बाजार में हाल ही में आई तेजी सकारात्मक राजनीतिक घटनाक्रम, कॉर्पोरेट शेयरों में सुधार, प्राथमिक और द्वितीयक बाजारों में विदेशी निवेश में वृद्धि और व्यापक क्षेत्र की भागीदारी की वजह से देखी जा रही है।

ऐतिहासिक डेटा से पता चलता है कि निफ्टी इंडेक्स 2000 के बाद से दिसंबर में 71 प्रतिशत अधिक बंद हुआ है, जिसमें 2023 और 2020 में शानदार वृद्धि देखी गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने सीआरआर को कम कर लिक्विडिटी बढ़ाई, जिससे बाजार की धारणा को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

इसके अतिरिक्त, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत से नवंबर में 5.48 प्रतिशत तक गिर गई, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा और आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति में ढील की उम्मीदें बढ़ गईं।

आगे चलकर, केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति में ढील देने से उधार लेने की लागत कम करने में मदद मिल सकती है।

अनुकूल परिस्थितियों और सकारात्मक निवेशक भावना ने हाल के बाजार के हाल ही की मूवमेंट्स को समर्थन दिया।

अधिक घरेलू संस्थागत और खुदरा धन लार्जकैप बैंकिंग सेगमेंट में जाने की संभावना है।

जानकारों का कहना है कि आईटी एक और ऐसा क्षेत्र है जिसके अच्छा प्रदर्शन करने और अधिक एफआईआई खरीद को आकर्षित करने की संभावना है।

जानकारों ने कहा कि यह भारत में एफआईआई रणनीति में स्पष्ट बदलाव है और यह तर्क दिया जा सकता है कि निरंतर एफआईआई बिक्री का दौर खत्म हो गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/एएस

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