ब्रिटेन के सिख सांसद ने कृपाणधारी व्यक्ति को जूरी ड्यूटी से रोके जाने के बाद न्यायमूर्ति सचिव को लिखा पत्र

ब्रिटेन के सिख सांसद ने कृपाणधारी व्यक्ति को जूरी ड्यूटी से रोके जाने के बाद न्यायमूर्ति सचिव को लिखा पत्र

लंदन, 7 नवंबर (आईएएनएस)। एक अमृतधारी सिख को कृपाण ले जाने के कारण जूरी सेवा में भाग लेने से रोकने के बाद ब्रिटिश सिख सांसद प्रीत कौर गिल ने सिखों के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के सम्मान की माँग करते हुए देश के न्याय सचिव को पत्र लिखा है।

एलेक्स चाक को संबोधित एक पत्र में गिल ने कहा कि पिछले महीने बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में जूरी सेवा में भाग लेने से रोके जाने के बाद जतिंदर सिंह को “अपराधी जैसा महसूस” कराया गया था।

गिल ने बर्मिंघम लाइव में प्रकाशित अपने पत्र में कहा, “मेरा मानना है कि यह घटना एक गंभीर मुद्दे को उजागर करती है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यक्ति, उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, भेदभाव का सामना किए बिना, नागरिक कर्तव्यों में संलग्न हो सकें।”

अमृतधारी सिखों को अपनी आस्था के प्रतीक के रूप में हर समय पाँच ‘क’ अपने साथ रखना आवश्यक होता है – जिसमें केश, कड़ा, कंघा, कच्छा और कृपाण शामिल हैं।

एजबेस्टन के सांसद ने पिछले सप्ताह पत्र में लिखा था, “श्री सिंह, जिनके पास आपराधिक न्याय अधिनियम 1988 द्वारा अनुमत कृपाण है, ने पाया कि उनकी जूरी सेवा के दौरान उन्हें अदालत में प्रवेश करने से मना कर दिया गया था। यह घटना बेहद चिंताजनक है, क्योंकि यह न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों को रेखांकित करती है बल्कि हमारी कानूनी प्रणाली की समावेशिता और विश्वसनीयता को भी प्रभावित करती है।”

उन्होंने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि हम यह सुनिश्चित करें कि श्री सिंह जैसे व्यक्ति, जिन्हें अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए बुलाया गया है, वे अपनी धार्मिक मान्यताओं से कोई समझौता किए बिना ऐसा करने में सक्षम हों।”

जतिंदर ने कहा कि उन्होंने अदालत भवन में प्रवेश करने के इच्छुक सिख समुदाय के सदस्यों के लिए न्याय मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन किया और पांच इंच का कृपाण अपने पास रखा था।

मंत्रालय के नियम पांच इंच तक लंबी ब्लेड वाली छह इंच तक लंबी कृपाण लाने की अनुमति देते हैं।

वहीं घटना के बाद मंत्रालय ने कहा कि आवश्यक जूरी सदस्यों की अधिकता के कारण जतिंदर को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया था। महामहिम की अदालतों और न्यायाधिकरण सेवा ने उनसे “किसी भी परेशानी के लिए” माफ़ी मांगी।

इसमें कहा गया है कि उन्होंने अपने अनुबंधित सुरक्षा अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले सही कदमों की याद दिला दी है।

–आईएएनएस

एकेजे

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