बर्थडे स्पेशल : वो बेखौफ भारतीय कप्तान, जिसने साथी खिलाड़ी को 'वॉकआउट' तक के लिए कह दिया


नई दिल्ली, 9 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट के ‘लिटिल मास्टर’ सुनील गावस्कर विश्व के महानतम बल्लेबाजों में शुमार हैं। इस पूर्व कप्तान ने उस दौर में कई बेहतरीन पारियां खेलीं, जब क्रिकेट के मैदान पर तेज गेंदबाजों का दबदबा हुआ करता था।

यह वह दौर था, जब बल्लेबाजों के पास न तो शानदार बैट होते थे और न ही कोई खास सुरक्षा उपकरण। ऐसे दौर में भी गावस्कर ने कई साहसिक पारियां खेलीं।

10 जुलाई 1949 को मुंबई में जन्मे सुनील गावस्कर कद-काठी में जितने छोटे थे, क्रिकेट जगत में उनका रुतबा उतना ही बड़ा था। क्रिकेट मैदान पर वो निडर थे, बेखौफ थे।

साल 1981 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक ऐसा टेस्ट मैच खेला गया, जिसमें सुनील गावस्कर के एक फैसले ने क्रिकेट जगत को हिला दिया था।

टीम इंडिया सीरीज का पहला मैच गंवा चुकी थी, जो सिडनी में खेला गया था। इसके बाद भारत ने जैसे-तैसे सीरीज का दूसरा मैच ड्रॉ करवाया।

अब टीम इंडिया के पास तीन मुकाबलों की सीरीज ड्रॉ करवाने के लिए सिर्फ एक ही विकल्प था, तीसरे टेस्ट को हर हाल में जीतना।

इस पूरी सीरीज में खराब अंपायरिंग ने भारत के लिए चुनौतियां खड़ी की थी।

मेलबर्न में तीसरे टेस्ट की पहली पारी में भारतीय टीम महज 237 रन पर सिमट गई। इसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने 419 रन बना दिए।

पहली पारी के आधार पर टीम इंडिया 182 रनों से पीछे थी, मगर दूसरी पारी में भारत की सलामी जोड़ी ने उम्मीदें बांध दीं।

सुनील गावस्कर और चेतन चौहान पहले विकेट के लिए 165 रन जोड़ चुके थे। गावस्कर ने 70 रन बना लिए थे। इसी बीच डेनिस लिली की एक गेंद गावस्कर के पैड पर लगी और अंपायर रेक्स व्हाइटफील्ड ने उन्हें एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया।

गावस्कर इससे नाखुश नजर आए और अंपायर को समझाने की कोशिश की। कुछ पल बाद गावस्कर पवेलियन की ओर कदम बढ़ा चुके थे, लेकिन इसी बीच उन्होंने दूसरे छोर पर मौजूद चेतन चौहान से भी वापस लौटने को कह दिया।

गावस्कर के कहने पर चेतन चौहान हिचकिचाते हुए वापस पवेलियन की ओर लौटने लगे, लेकिन भारतीय टीम के ग्रुप मैनेजर एसएके दुर्रानी ने समय रहते चौहान को मैदान से बाहर आने से रोक दिया।

भारत ने इस पारी में 324 रन बनाए और कपिल देव ने पांच विकेट लेते हुए अगली पारी में मेजबान टीम को महज 83 रन पर समेट दिया। टीम इंडिया ने मैच 59 रन से जीता और सीरीज 1-1 से बराबरी पर खत्म की।

हालांकि, कई साल बाद गावस्कर ने खुलासा किया था कि वह अंपायर के फैसले से नाराज नहीं थे, हालांकि निराश जरूर थे। उन्होंने बताया कि जब वह ड्रेसिंग रूम की ओर लौट रहे थे, तो ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने उन्हें अपशब्द कहे, जिससे नाराज होकर उन्होंने चेतन चौहान से वापस लौटने को कह दिया।

सुनील गावस्कर ने भारत के लिए 125 टेस्ट खेले, जिसमें 51.12 की औसत के साथ 10,122 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से चार दोहरे शतक, 34 शतक और 45 अर्धशतक आए। वहीं, 108 वनडे मुकाबलों में सुनील गावस्कर ने 35.14 की औसत से 3,092 रन जड़े।

–आईएएनएस

आरएसजी/जीकेटी


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