बर्थडे स्पेशल : कभी क्रिकेटर बनना चाहते थे चेतन आनंद, कोच ने बदल दी जिंदगी

नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। विजयवाड़ा में 8 जुलाई 1980 को जन्मे चेतन आनंद भारत के मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने अपने करियर में तीन कॉमनवेल्थ मेडल जीते। इसके अलावा चेतन चार बार नेशनल चैंपियन भी रह चुके हैं।
बचपन से ही चेतन की दिलचस्पी न सिर्फ बैडमिंटन, बल्कि क्रिकेट में भी थी। चेतन एक ऑलराउंडर बनना चाहते थे, लेकिन नौ साल की उम्र में जब उन्हें बैडमिंटन कोच भास्कर बाबू ने देखा, तो इस बच्चे के टैलेंट को समझ लिया।
चेतन आनंद ने डबल्स इवेंट्स से ख्याति बटोरनी शुरू की। चेतन महज 10 वर्ष की उम्र में जूनियर नेशनल में रनर-अप रह चुके थे। उन्होंने अंडर-12 में डबल्स इवेंट को अपने नाम कर लिया था। इसके बाद उन्होंने अंडर-15 नेशनल डबल्स खिताब भी जीत लिया, लेकिन सिंगल में वह अब तक कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर सके थे।
आखिरकार, साल 1988 में चेतन आनंद ने इस सूखे को भी खत्म कर दिया। चेतन ने इस साल नेशनल जूनियर सिंगल्स टाइटल अपने नाम कर लिया। उन्होंने साबित कर दिखाया कि जोड़ीदार के बगैर, अकेले दम पर भी वह टूर्नामेंट जीत सकते हैं।
चेतन आनंद के टैलेंट को देखते हुए प्रकाश पादुकोण ने उन्हें ट्रेनिंग के लिए अपने पास बुलाया, जो चेतन के करियर का बड़ा मोड़ साबित हुआ।
साल 2004 में चेतन आनंद ने नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप अपने नाम कर ली। उन्होंने अपने खेल को निखारते हुए आयरिश और स्कॉटिश ओपन भी जीत लिया।
साल 2006 में चेतन आनंद ने कॉमनवेल्थ गेम्स के सिंगल्स और मिक्स्ड टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीते। यहां से उनके लिए सफलता के दरवाजे खुल चुके थे। उन्होंने 2007, 2008 और 2010 में नेशनल चैपियनशिप जीतीं। वह ग्रां प्री टूर्नामेंट जीतने वाले पहले भारतीय शटलर भी बने।
चेतन आनंद साल 2009, 2010 में करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग हासिल करते हुए नंबर-10 पर पहुंचे। इसी साल कॉमनवेल्थ गेम्स के मिक्स्ड टीम इवेंट में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता, लेकिन चोट ने उनके प्रदर्शन को प्रभावित करना शुरू कर दिया।
साल 2014 में उन्होंने हैदराबाद में चेतन आनंद बैडमिंटन एकेडमी की स्थापना की। साल 2006 में चेतन आनंद को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
–आईएएनएस
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