गिनी-बिसाऊ के बिजागोस द्वीपसमूह को मिला यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा


बिसाऊ (गिनी-बिसाऊ), 14 जुलाई (आईएएनएस)। पश्चिम अफ्रीका के गिनी-बिसाऊ स्थित बिजागोस द्वीपसमूह को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यूनेस्को ने रविवार को इसकी घोषणा की है।

कोस्टल एंड मरीन इकोसिस्टम्स ऑफ बिजागोस आर्किपेलागो-ओमाटी मिन्हो नामित यह नया सूचीबद्ध कोस्टल और मरीन इकोसिस्टम की एक शृंखला को शामिल करता है, जो इस क्षेत्र के कुछ सर्वोत्तम संरक्षित समुद्री और अंत:ज्वारीय पर्यावरणों में से एक हैं।

‘समाचार एजेंसी सिन्हुआ’ के अनुसार, पश्चिम अफ्रीका के तट पर स्थित बिजागोस द्वीपसमूह को अफ्रीकी अटलांटिक तट पर एकमात्र सक्रिय डेल्टाई द्वीपसमूह और दुनिया में अपनी तरह के कुछ द्वीपसमूहों में से एक माना जाता है।

इस द्वीपसमूह का क्षेत्र अद्भुत जैव विविधता से भरपूर है और पारंपरिक स्थानीय जीवनशैली से जुड़ा हुआ है।

यूनेस्को के अनुसार, यह स्थल कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों का आश्रयस्थल है, जिनमें ग्रीन और लेदरबैक कछुए, पश्चिमी अफ्रीकी मैनेटी और डॉल्फिन की कई प्रजातियां शामिल हैं।

8,70,000 से ज्यादा प्रवासी समुद्री पक्षी हर साल ‘बिजागोस द्वीपसमूह’ को अपने प्रमुख पड़ाव या शीतकालीन प्रवास स्थल के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

इस द्वीपसमूह के इकोसिस्टम में मैंग्रोव, मडफ्लैट्स और इंटरटाइडल जोन शामिल हैं, जो समुद्री जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह क्षेत्र दुर्लभ पौधों की प्रजातियों, विविध मछली आबादी और महत्वपूर्ण पक्षियों का भी घर है।

द्वीपसमूह का एक हिस्सा पोइलाओ द्वीप, समुद्री कछुओं, विशेष रूप से हरे कछुओं के लिए विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण अंडे देने वाला स्थल माना जाता है। यही कारण है कि यह क्षेत्रीय संरक्षण प्रयासों का एक प्रमुख केंद्र बन गया है।

यह द्वीपसमूह 10,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें विशाल रेत के टीले और मडफ्लैट्स शामिल हैं। इसमें कुल 88 द्वीप और टापू हैं, जिनमें से केवल लगभग 20 द्वीपों पर स्थायी रूप से लोग बसे हुए हैं।

–आईएएनएस

आरएसजी/डीएससी


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