राजधानी लखनऊ के अकबरनगर में बने अवैध अतिक्रमणों पर पुलिस प्रशासन का एक्शन जारी है। इस बीच मामले से जुडी बड़ी खबर सामने आ रही है। खबर है कि हाई कोर्ट ने अकबरनगर में लोगों को मकान खाली करने के लिए 31 मार्च तक का मोहलत दिया है। अगर इस दिन के मध्यरात्रि तक कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं होता है तो एलडीए यहां बुलडोजर चलाकर जमीन खाली कराएगा। हालांकि, इस दौरान कोर्ट ने उनके लिए राहत का भी फैसला दिया है। दरअसल, 6 मार्च को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये मान लिया कि कुकरैल के आस पास बनीं ये झुग्गी बस्तियां अवैध हैं। ऐसे में ये अतिक्रमण किसी भी हालत में कुकरैल के आस पास नहीं रह सकतीं।
अतिक्रमणकारी 31 मार्च तक खाली कर दें दें इलाका, वरना चल जाएगा बुलडोजर – हाई कोर्ट
बता दें, इस पूरे मामले पर बुधवार यानी 6 मार्च को हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई। इस दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश सुनाते हुए कहा कि, “कुकरैल नदी के आसपास अवैध अतिक्रमणकारी 31 मार्च के मध्यरात्रि से पहले तक वो जगह खुद खाली कर दें। ये आदेश जस्टिस विवेक चौधरी एवं जस्टिस ओपी शुक्ला की ओर से राजू साहू सहित अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल 74 याचिकाओं व अर्जियों को निस्तारित करते हुए सुनाया गया।
इलाका खाली करने पर आवेदकों को मिलेगा सरकारी लाभ
हालांकि, सुनवाई के दौरान अकबर नगर में कुकरैल के किनारे लंबे समय से रह रहे गरीब लोगों को होती परेशानियों को देखते हुए कोर्ट ने उनकी मदद का निर्देश भी दिया है। दरअसल, जब कोर्ट ने देखा की ये सभी आवेदक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। तब कोर्ट ने यूपी सरकार और LDA को निर्देश देते हुए कहा कि, “सरकार और एलडीए वहां रहने वाले लोगों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट देकर उनकी समस्या का हल करे। प्रशासन ये प्रक्रिया पूरी करने के लिए पंजीकरण धनराशि को 5 हजार घटाकर इनके लिए एक हजार रुपये करे।
योगी सरकार को दिया ये निर्देश
साथ ही अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि, “अगर ईडब्ल्यूएस वर्ग का फ्लैट मिलने के बाद आवेदक निर्धारित किस्तों का भुगतान 10 वर्ष में नहीं कर पाया, तो उसके भुगतान की अवधि अधिकतम 5 साल के लिए और बढ़ा दी जाएगी। अगर फिर भी किसी आवंटी को किश्तें अदा करने में परेशानी आती है, तो वह सीधे CM योगी को इसके लिए अर्जी दे सकेगा। जिसके बाद सरकार इनके अर्जी को देखते हुए सरकारी योजना के तहत उस व्यक्ति को राहत प्रदान करे।
ये है पूरा मामला
हाल ही में लखनऊ प्रशासन ने वहां के अकबर नगर इलाके में हुए अवैध निर्माण पर एक्शन लेते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की थी। जिसके चलते वहां के निवासियों ने इस एक्शन को रोकने के लिए कोर्ट में याचिका दर्ज किया था। उन्होंने लखनऊ विकास प्राधिकरण की इस कार्रवाई के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। मगर याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं मिल पाई थी।