बेंगलुरु टेक समिट : वैज्ञानिक माशेलकर ने कहा, भारत में प्रति डॉलर सबसे अधिक बौद्धिक पूंजी है

बेंगलुरु टेक समिट : वैज्ञानिक माशेलकर ने कहा, भारत में प्रति डॉलर सबसे अधिक बौद्धिक पूंजी है

बेंगलुरु, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व महानिदेशक आर.ए. माशेलकर ने कहा कि भारत के पास प्रति डॉलर सबसे अधिक बौद्धिक पूंजी (हाईएस्ट इंटेलेक्चुअल कैपिटल) है, यही कारण है कि भारतीय नवाचार दुनिया में धूम मचा रहा है।

बेंगलुरु टेक समिट 2023 में एक पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए, प्रमुख लीडर और इनोवेशन विशेषज्ञ ने राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला के एक वर्ष के भीतर अंतर्राष्ट्रीय परामर्श संगठन बनने और हाल ही में भारत के यूपीआई इनोवेशन का उदाहरण दिया, जिसमें 2022 में 74.05 बिलियन से अधिक लेनदेन हुए, जो दुनिया के लेनदेन का 46 प्रतिशत है।

उन्होंने आगे कहा, ”हमारा यूपीआई अब भूटान और सिंगापुर में भी स्वीकार किया जा रहा है, जो हमारे लोगों के ज़मीनी स्तर के दृष्टिकोण को दर्शाता है।”

आर.ए. माशेलकर ने स्टार्ट-अप को सुनिश्चित सफलता के लिए छह सिद्धांतों का पालन करने के बारे में बताया।

ऐसी पेशकशें करें जो सस्ती हों, आसानी से स्केलेबल हों, व्यवसाय को टिकाऊ बनाएं, पेश किए गए उत्पाद या सेवा को सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए। इसमें उत्कृष्ट विशेषताओं के साथ तेजी से बाजार में उतरने की रणनीति होनी चाहिए और एक विशिष्ट व्यावसायिक विचार होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक स्टार्ट-अप संस्कृति में अनुकरणीय उपलब्धियों वाला एक अविश्वसनीय राज्य है। उन्होंने “अमेजिंग 40 प्रतिशत राज्य” होने के लिए राज्य की सराहना की, जो 40 प्रतिशत जीसीसी, 40 प्रतिशत भारत की सॉफ्टवेयर प्रतिभा, 40 प्रतिशत यूनिकॉर्न और 40 प्रतिशत निर्यात के लिए जिम्मेदार है।

उन्होंने राज्य को सब्सिडी और अनुदान के साथ इनोवेटिव एसएमई को प्रोत्साहित करके एक आईपी नीति बनाने में नेतृत्व दिखाने की भी सिफारिश की। कर्नाटक ज्ञान की राजधानी और इनोवेशन का केंद्र है, लेकिन विकास में अगली छलांग के लिए राज्य को इनोवेशन के नेतृत्व वाले वृद्धिशील विकास से तेजी विकास की ओर बढ़ना होगा।

इस विकास रणनीति को ‘सुधार’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप संस्कृति को गेम-चेंजिंग लोकाचार में बदलना होगा। प्रख्यात वैज्ञानिक ने सलाह दी, “उत्कृष्टता की सीढ़ी की कोई सीमा नहीं है और कंपनियों को छलांग लगाकर नहीं, बल्कि पोल-वॉल्टिंग से नेतृत्व करना सीखना होगा।”

–आईएएनएस

एफजेड/एबीएम

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