बिहार : गया के लाभार्थी को 'आयुष्मान भारत योजना' के तहत मुफ्त इलाज मिला


गया, 7 जून (आईएएनएस)। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) अनगिनत भारतीयों के लिए जीवनरेखा बनी हुई है। यह योजना देश के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में एक गेम-चेंजर के रूप में उभरी है – खासकर गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग की आबादी के लिए।

बिहार के गया जिले में इस प्रमुख योजना का प्रभाव नालंदा जिले के मूल निवासी किसान ललन चौधरी की कहानी में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। गया के मगध मेडिकल कॉलेज में इलाज करा रहे ललन चौधरी को आयुष्मान भारत कार्ड के माध्यम से सभी चिकित्सा सेवाएं – सर्जरी, दवाइयां, आवास और भोजन – पूरी तरह से मुफ्त मिल रही हैं।

लाभार्थी ललन चौधरी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “मेरे दोनों पैरों के कूल्हे खराब हो गए थे। पिछले डेढ़ महीने से मैं इलाज करा रहा हूं और आयुष्मान कार्ड के माध्यम से यह सब मुफ्त हो रहा है। हम जैसे गरीब लोग इलाज के लिए पांच लाख रुपए कहां से लाएंगे? हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं। दवाइयां, भोजन – सबका ध्यान रखा जा रहा है। यह बहुत अच्छी योजना है।”

चौधरी को इस योजना के बारे में तब पता चला जब सरकार की एक आउटरीच टीम उनके गांव आई। उन्होंने कहा, “उन्होंने घर पर ही आयुष्मान कार्ड बनाने में हमारी मदद की। अब हमारे गांव के कई लोग इसका लाभ उठा रहे हैं।”

ऐसे पर्सनल खाते पिछले दशक में भारत के स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्टम में व्यापक परिवर्तन को दर्शाते हैं। डिजिटलीकरण, सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी और लक्षित कल्याण पहलों के संयोजन के माध्यम से सरकार ने उन लाखों लोगों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुंचाई है, जो पहले महंगे इलाज से जूझते थे।

जानकारी के मुताबिक, 30 मई 2025 तक 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 41 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं। इनकी मदद से 8.5 करोड़ से अधिक अस्पताल में भर्ती हुए हैं, जिसका मतलब है कि 1.19 लाख करोड़ रुपए का उपचार कवर किया गया है। सार्वजनिक और निजी दोनों सुविधाओं सहित लगभग 32,000 सूचीबद्ध अस्पतालों का एक मजबूत नेटवर्क यह सुनिश्चित करता है कि ललन चौधरी जैसे लाभार्थियों को निर्बाध चिकित्सा देखभाल मिले।

अक्टूबर 2024 में इस योजना का दायरा और बढ़ा दिया गया, जब सरकार ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को कवरेज प्रदान किया, चाहे उनकी आय की स्थिति कुछ भी हो। इससे मध्यम आय वर्ग के बुजुर्ग नागरिकों को विशेष रूप से लाभ हुआ है, जिससे बढ़ते चिकित्सा खर्चों से परेशान परिवारों को मानसिक शांति मिली है।

–आईएएनएस

एससीएच/एकेजे


Show More
Back to top button