बीजिंग का सैन्य अभ्यास 'उकसावा', क्षेत्रीय शांति को खतरा : ताइवान

ताइपे, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। ताइवान के आसपास चीन के संयुक्त सैन्य अभ्यास की ताइपे ने मंगलवार को कड़ी निंदा की। इसने कहा कि बीजिंग की उकसावे वाली गतिविधियां क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा हैं।
ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने चीनी सैन्य अभ्यास को यथास्थिति में व्यवधान बताया और कहा कि उसने खतरों के जवाब में सैन्य जहाजों और विमानों को तैनात कर दिया।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, “मंगलवार सुबह ताइवान के आसपास 19 चीनी नौसेना के जहाजों की गतिविधि देखी गई। ताइवान के सशस्त्र बलों ने स्थिति पर नज़र रखी और गतिविधियों का पता लगाने के लिए सीएपी विमान, नौसेना के जहाजों और तटीय मिसाइल प्रणालियों को तैनात किया।”
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, “हम ताइवान के पास चीन के संयुक्त सैन्य अभ्यास की कड़ी निंदा करते हैं। पूर्वी और दक्षिण चीन सागर से लेकर ओशिनिया तक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के उकसावे से क्षेत्रीय शांति को खतरा है। हम बीजिंग से आग्रह करते हैं कि वह लापरवाह व्यवहार के जरिए यथास्थिति और इंडो-पैसिफिक शांति-स्थिरता को अस्थिर करना बंद करे।”
यह अभ्यास अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के जापान, फिलीपींस और ताइवान की यात्रा से लौटने के बाद हुआ।
ताइवान के प्रमुख समाचार पत्र ताइपे टाइम्स ने एक अधिकारी के हवाले से बताया, “ताइवान उनका सबसे अच्छा बहाना है। यही कारण है कि उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री के एशिया से जाते ही इस तरह के सैन्य अभ्यास शुरू करने का फैसला किया।”
चीन ने भी पुष्टि की कि वह ताइवान के आसपास संयुक्त सेना, नौसेना और रॉकेट अभ्यास कर रहा है। बीजिंग ने ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते को ‘परजीवी’ तक कह दिया।
पिछले महीने, ताइवान के राष्ट्रपति लाई ने चीन को ‘विदेशी शत्रुतापूर्ण ताकत’ करार दिया था। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा उपायों को बढ़ा दिया था।
चीन का दावा है कि ताइवान उसका हिस्सा है और अगर जरुरत पड़ी तो उसे बलपूर्वक मुख्य भूमि के साथ फिर से मिलाया जाएगा। हाल के वर्षों में, बीजिंग ने ताइवान पर दबाव बढ़ाने के लिए ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य अभ्यास बढ़ा दिया है।
वहीं अमेरिका और उसके सहयोगी ताइवान जलडमरूमध्य को एक अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग मानते हैं और नियमित रूप से जलडमरूमध्य के जरिए युद्धपोत भेजते हैं, ताकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपना प्रभाव स्थापित किया जा सके और चीन की बढ़ती चुनौती का मुकाबला किया जा सके।
–आईएएनएस
एमके/