सतर्क रहें: बिना डॉक्टर के पर्चे के न खरीदें खांसी वाला सिरप….

सतर्क रहें: बिना डॉक्टर के पर्चे के न खरीदें खांसी वाला सिरप….

बच्चों के लिए सर्दी-जुकाम की दवा अपने मन से न खरीदें, क्योंकि जिस एफडीसी सिरप को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने प्रतिबंधित किया है, लाखों रुपये की वे दवाएं बाजार में मौजूद हैं। इसलिए अपने मन से दवा खरीदने के बजाय डॉक्टर के पर्चे को साथ ले जाएं,ताकि किसी प्रकार की दिक्कत न होने पाए।

दुनिया भर में पिछले साल 141 बच्चों की मौत खांसी का सिरप पीने से हुई थी। इस पर चर्चा के बाद ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सर्दी-जुकाम के फिक्स्ड-ड्रग कॉम्बिनेशन (एफडीसी) सिरप पर रोक लगा दी थी। जिन सिरप में क्लोरफेनिरामाइन मैलेट और फिनाइलफ्राइन का इस्तेमाल एक साथ किया गया है, वह छोटे बच्चों के लिए नुकसानदायक है, जबकि सर्दी के सामान्य लक्षण वाले मरीजों को अक्सर इसी फार्मूला वाली दवाएं दी जाती हैं।

इसीलिए शहर से लेकर गांव तक के मेडिकल स्टोर्स पर इस तरह की दवाएं बहुतायत उपलब्ध रहती हैं। लोग दुकान पर जाते हैं तो बच्चे को सर्दी-जुकाम बताकर सिरप मांग लेते हैं। कई कंबिनेशन एक ही सिरप में मिलने के चलते ये सस्ती पड़ती हैं।

दवा विक्रेता दिलीप सिंह कहते हैं कि आम आदमी को इस मामले में जागरूक करना बहुत जरूरी है। फुटकर दुकानों पर हर दिन ऐसे लोग आते हैं जो बिना पर्चा के दवा लेते हैं। यह स्थिति केवल खांसी-सर्दी के सिरप ही नहीं, अन्य रोग के लिए भी हानिकारक है। सोशल मीडिया पर दवाओं का नाम और प्रभाव पढ़कर दवा खरीदने की आदत बड़े खतरे का कारण बन सकती है। मेडिकल स्टोर संचालकों को चाहिए कि बिना पर्चा के दवाएं न दें।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके सिंह कहते हैं कि मर्ज के परीक्षण के बाद ही दवा की डोज निर्धारित की जा सकती है। छोटे बच्चे अधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए दवाओं का रिएक्शन भी उनमें अधिक होता है। इसलिए बच्चों को बिना डॉक्टर से परामर्श लिए दवा नहीं दी जानी चाहिए। कई बार हमें दवा के कुप्रभाव का तत्काल पता नहीं चलता, लेकिन बच्चों को इसका असर जीवन के अगले चरणों में भी झेलना पड़ सकता है। इसके अलावा एफडीसी को चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया गया है, इसलिए इसका विशेष ख्याल रखना चाहिए।

 

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