बरेली की हवा धुआं, धूल और धुंध से खराब हुई,बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक

बरेली की हवा धुआं, धूल और धुंध से खराब हुई,बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक

दिवाली से शहर की हवा खराब होने लगी है। धूल, धुआं और धुंध से प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन जैसी समस्या हो रही है। चिकित्सकों के मुताबिक धुंध बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक है।

बरेली की हवा अब एक बार फिर से खराब हो गई है। अव्यवस्थित निर्माण कार्य और वाहनों की आवाजाही से आबोहवा में स्मॉग (धुआं, धूल और धुंध की मिलीजुली परत) फैल चुकी है। इधर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से भेजी जा रहे नोटिस विभागों में बेअसर हो रहे है।

शहर में प्रदूषण की वजह बनी बेतरतीब खोदाई, परियोजनाओं की धीमी रफ्तार और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की गाइडलाइन का उल्लंघन है। इससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़ने से शहर में प्रदूषण का स्तर सामान्य से ज्यादा दर्ज हो रहा है। अधिकारी प्रदूषण से निजात पाने की कवायद के बजाय नोटिस भेज रहे हैं। जबकि मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि यह प्रदूषण की परत है। तापमान में गिरावट से शहर में फैला धुआं और धूल के कण ऊपर नहीं जा पा रहे। इसी वजह से शाम करीब पांच के बाद स्ट्रीट लाइट जलाने की नौबत आ रही है।

सेटेलाइट से बीसलपुर रोड 
जल निगम की ओर से सीवर लाइन डालने का कार्य चल रहा है। निर्माण कार्य से धूल न उड़े, इसके लिए पानी का छिड़काव नहीं हो रहा था। धूल से आम जनमानस प्रभावित न हो इसके रोकथाम के भी इंतजाम नहीं थे।

सुभाषनगर करगैना रोड 
पीडब्ल्यूडी की ओर से चौपुला से बदायूं जाने वाले मार्ग का निर्माण कार्य बेहद धीमी गति से हो रहा है। करीब छह माह से बजरी, पत्थर पड़े हैं। धूल का गुबार के बीच से गुजरना पड़ रहा है। यहां भी मानकों की अनदेखी दिखी।

कुतुबखाना पुल निर्माण
कोतवाली से कोहाड़ापीर तक निर्माणाधीन फ्लाईओवर के निर्माण कार्य के चलते क्षेत्र में धूल का गुबार मंडरा रहा है। यहां पुल के ऊपर और नीचे सर्विस लेन बन रही है। यहां भी पानी का छिड़काव और ग्रीन वॉल नहीं लगी।

आंख में जलन और सांस लेने में दिक्कत
फिजिशियन डॉ. पवन कपाही के मुताबिक नम वातावरण से धूल और धुएं के कण वातावरण में ऊपर नहीं जा पाते। धूल की परत निचली होने से सीधे इंसान के संपर्क में आते हैं। शहर में धुंध बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक है। लंबे समय तक धुंध में रहने से सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन होती है। साथ ही त्वचा रोग होने की आशंका बढ़ती है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार शनिवार को शहर का एक्यूआई यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक 126 दर्ज हुआ। राजेंद्र नगर का 121 और सिविल लाइंस का एक्यूआई 130 दर्ज हुआ। दो दिन पहले राजेंद्र नगर का 111 और सिविल लाइंस का 237 दर्ज हुआ था। प्रदूषण करीब सप्ताह भर से हर दिन सौ के पार दर्ज हो रहा है। जो सामान्य से ज्यादा है।
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी रोहित सिंह ने बताया कि यह प्रदूषण नहीं बल्कि सर्दी के मौसम की धुंध है। धूल और वाहनों के धुएं से एक्यूआई सामान्य से ज्यादा है। रोकथाम के लिए संबंधित विभागों को पत्र भेजा है।

आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विशेषज्ञ अतुल कुमार ने बताया कि शहर में प्रदूषण की परत छाई है। न्यूनतम पारा गिरने से धूल और धुआं के करण ऊपर नहीं जा पा रहे हैं। धुंध छाने से लोगों को परेशानी होगी।

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