नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बैंकों को जनता से अधिक जमा जुटाने और बजट 2024-25 में घोषित सरकारी योजनाओं के लिए अधिक ऋण देने का आग्रह किया।
यहां आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल के साथ बजट के बाद बैठक करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों को डिपॉजिट संग्रह करने और ऋण देने के मुख्य व्यवसाय पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आरबीआई ने बैंकों को ब्याज दरें तय करने के लिए पर्याप्त स्वतंत्रता दी है और उन्हें डिपॉजिट को आकर्षित करने के लिए नवीन पोर्टफोलियो के साथ आगे आना चाहिए ताकि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और अधिक नौकरियां पैदा करने के साथ ऋण देने के लिए अधिक धन उपलब्ध हो।
उन्होंने कहा कि जहां निवेशक तेजी से शेयर बाजारों की ओर रूख कर रहे हैं, वहीं बैंकों को भी अधिक डिपॉजिट आकर्षित करने के लिए योजनाएं लाने की जरूरत है।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि केवल बड़ी डिपॉजिट पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, शाखाओं के विशाल नेटवर्क वाले बैंकों को अधिक छोटी डिपॉजिट राशि जुटाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो बैंकिंग प्रणाली के लिए “ब्रेड एंड बटर” हैं।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी बताया कि बैंकों के कम लागत वाले चालू और बचत खाते (सीएएसए) एक साल पहले कुल जमा के 43 प्रतिशत से घटकर इस साल 39 प्रतिशत हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि, बैंकों को केवल बल्क डिपॉजिट पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय लागत में कटौती करने के लिए इन CASA(कासा)डिपॉजिट पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जिससे जरिए “छलांग बहुत तेज हो सकती है।”
आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि भारत के बैंकिंग क्षेत्र को बहुत स्थिर ब्याज दर व्यवस्था वाला माना जाता है और यह कई अन्य देशों की तरह अस्थिर नहीं है।
दास ने कहा कि आरबीआई ने बैंकों को ब्याज दरों पर निर्णय लेने के लिए कुछ स्वतंत्रता दी है, जिसके तहत कुछ बैंक अधिक धन आकर्षित करने के लिए डिपॉजिट पर उच्च ब्याज दरों की पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह आर्थिक सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है।
वित्त मंत्री ने उन असत्यापित मीडिया रिपोर्टों के मुद्दे का भी उल्लेख किया जो निवेशकों को गुमराह करती हैं और अनिश्चितता पैदा करती हैं। उन्होंने बताया कि वित्तीय क्षेत्र पर संवेदनशील रिपोर्ट जारी करने से पहले वित्त मंत्रालय या आरबीआई के साथ तथ्यों की पुष्टि करने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, उन्होंने सरकार द्वारा विदेशी बैंकों में निवेश सीमा बढ़ाने की योजना पर मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया, जिनका “कोई आधार नहीं था।”
–आईएएनएस
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