बांग्लादेश : कट्टरपंथी इस्लामी समूह की महिला सुधार निकाय को भंग करने की मांग, निकाली रैली

ढाका, 3 मई (आईएएनएस)। बांग्लादेश में इस्लामी चरमपंथ के बढ़ते उभार के बीच देश के कट्टरपंथी इस्लामी समूह हिफाजत-ए-इस्लाम के हजारों नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शनिवार को ढाका में एक रैली आयोजित की और महिला मामलों के सुधार आयोग को भंग करने की मांग की।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, इस्लामी समूह ने अपने नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
यूएनबी की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिफाजत नेताओं के खिलाफ लगभग 300 मामले लंबित हैं।
इस बीच, शुक्रवार को हिफाजत-ए-इस्लाम ने धमकी दी कि यदि महिला मामलों के सुधार आयोग को समाप्त करने सहित उनकी सभी मांगें तुरंत पूरी नहीं की गईं तो वे बांग्लादेश को पंगु बना देंगे।
ढाका में बैतुल मुकर्रम राष्ट्रीय मस्जिद के सामने एक विरोध रैली को संबोधित करते हुए संगठन के केंद्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष मौलाना जुनैद अल हबीब ने घोषणा की कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो शनिवार को ढाका ठप हो जाएगा।
इस्लामिक नेता ने कहा, “सरकार का समय कल तक है। यदि कल तक कोई निर्णय नहीं लिया गया तो देश में ठहराव आ जाएगा और आग लगा दी जाएगी।”
इस्लामिक पार्टी के एक अन्य नेता मोहिउद्दीन रब्बानी ने चेतावनी देते हुए कहा, “यदि हिफाजत नेताओं और धार्मिक विद्वानों के खिलाफ मामले वापस नहीं लिए गए और महिला आयोग को समाप्त नहीं किया गया, तो हम सख्त कार्यक्रम शुरू करेंगे।”
पिछले सप्ताह हिफाजत-ए-इस्लाम ने धमकी देते हुए कहा था कि अगर महिला आयोग के प्रस्तावों को अमल में लाया गया तो मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस का भी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना जैसा ही हश्र होगा।
इससे पहले, देश भर में आयोजित विभिन्न विरोध रैलियों और जुलूसों में इस्लामी समूह ने अंतरिम सरकार को ये चेतावनियां दी थीं, और महिला सुधार निकाय के प्रस्तावों को ‘इस्लाम विरोधी’ करार दिया था।
बांग्लादेश के प्रमुख दैनिक ‘द बिजनेस स्टैंडर्ड’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह नारायणगंज जिले में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए हिफाजत के संयुक्त महासचिव मामुनुल हक ने कहा कि महिला आयोग ने यह कहकर इस्लामी कानून के प्रति पूर्ण उपेक्षा दिखाई है कि देश में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का मुख्य कारण धार्मिक और सामाजिक मानदंड हैं।
–आईएएनएस
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