अवामी लीग की बांग्लादेश में कोई जगह नहीं : यूनुस सरकार

ढाका, 22 मार्च (आईएएनएस)। मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के एक प्रमुख सलाहकार ने ऐलान किया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी को बांग्लादेश में कोई जगह नहीं दी जाएगी।
स्थानीय मीडिया ने शनिवार को बताया कि दिसंबर में राष्ट्रीय चुनाव कराने के बारे में बोलते हुए सूचना एवं प्रसारण सलाहकार महफूज आलम ने अवामी लीग को विदेश से लाई गई एक ‘शक्ति’ कहा।
देश के प्रमुख बंगाली दैनिक प्रथम आलो ने आलम के हवाले से कहा, “अवामी लीग कोई घरेलू ताकत नहीं है… बल्कि यह अनिवार्य रूप से विदेश से लाई गई ताकत है। इस पतंग (अवामी लीग) की डोर दिल्ली में है। इस पतंग को अब बांग्लादेश में उड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
यूनुस ने हाल ही में कहा था कि अंतरिम सरकार की अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। पिछले महीने एक अन्य बयान में उन्होंने कहा था कि अवामी लीग को यह तय करना है कि वह चुनाव लड़ेगी या नहीं, चाहे वे कभी भी हों।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक ब्रिटिश सार्वजनिक सेवा प्रसारक को दिए इंटरव्यू में यूनुस ने कहा, “उन्हें (अवामी लीग को) यह तय करना है कि वे ऐसा करना चाहते हैं या नहीं, मैं उनके लिए फैसला नहीं कर सकता। चुनाव आयोग तय करता है कि चुनाव में कौन भाग लेगा।”
यूनुस के बयान उनके पिछले बयान से अलग थे जब उन्होंने कहा था कि अवामी लीग का बांग्लादेश की राजनीति में ‘कोई स्थान नहीं’ है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरिम सरकार के विरोधाभासी बयान अवामी लीग को चुनावी राजनीति से दूर रखने की एक साजिश को दर्शाते हैं।
कई छात्र समूह और नवगठित नेशनल सिटिजन पार्टी, अब आक्रामक रूप से अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। यही शक्तियां जुलाई और अगस्त 2024 में बांग्लादेश में राष्ट्रव्यापी विरोध और हिंसा के पीछे थे, जिसके कारण हसीना के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी।
पिछले साल अगस्त में हसीना के अप्रत्याशित तरीके से सत्ता से बाहर होने को वैश्विक स्तर पर देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका माना गया। अंतरिम सरकार पर कट्टरपंथी और चरमपंथी संगठनों को शरण देने के गंभीर आरोप लगे।
अक्टूबर में, यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने 2009 के आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत अवामी लीग की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह प्रतिबंध हत्या, यातना, बलात्कार और आतंकवाद में बीसीएल की कथित संलिप्तता का हवाला देते हुए लगाया गया। इस कदम को मूल संगठन पर प्रतिबंध लगाने के अग्रदूत के रूप में देखा गया था।
–आईएएनएस
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