असम के मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी के दौरे की तैयारियों का लिया जायजा


गुवाहाटी, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी दौरे की तैयारियों का जायजा लिया। प्रधानमंत्री 21 दिसंबर को नाहरकटिया पहुंचेंगे, जहां वे नमरूप उर्वरक संयंत्र में नई यूरिया उत्पादन इकाई की आधारशिला रखेंगे।

यह नया संयंत्र पूर्वोत्तर में उर्वरक अवसंरचना को आधुनिक बनाने की दिशा में दशकों बाद होने वाला सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। प्रस्तावित इकाई की वार्षिक क्षमता 1.2 मिलियन मीट्रिक टन होगी, जिससे क्षेत्र के औद्योगिक ढांचे और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा।

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि परियोजना पूरी होने के बाद देश में यूरिया उपलब्धता मजबूत होगी, बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होंगे और ऊपरी असम में सहायक उद्योगों का नेटवर्क विकसित होगा। राज्य सरकार ने आश्वस्त किया है कि निर्माण कार्य शुरुआत के तीन साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।

प्रधानमंत्री के दौरे से पहले मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम स्थल का दौरा किया और सुरक्षा तैयारियों का विस्तृत निरीक्षण किया। उन्होंने असम पुलिस, जिला प्रशासन और आयोजन व लॉजिस्टिक्स संभालने वाले विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर समन्वय सुनिश्चित किया।

इस दौरान मुख्य सचिव रवि कोटा सहित शीर्ष अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया। मंत्री पियूष हजारिका, प्रशांत फुकन और नाहरकटिया के विधायक तरंग गोगोई भी मुख्यमंत्री के साथ मौजूद थे।

प्रारंभिक कार्यक्रम के अनुसार, प्रधानमंत्री 21 दिसंबर को सुबह 10:30 बजे जनसभा को संबोधित करेंगे। वे नई यूरिया परियोजना के महत्व और पूर्वोत्तर में औद्योगिक व कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालेंगे।

अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षा प्रोटोकॉल को और कड़ा किया गया है तथा भीड़ प्रबंधन, यातायात नियंत्रण और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए कई एजेंसियां संयुक्त रूप से काम कर रही हैं। मंच, पहुंच मार्ग, जनसभा स्थल और तकनीकी ढांचे को अंतिम रूप दिया जा रहा है ताकि कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सके।

नमरूप उर्वरक परिसर देश के सबसे पुराने संयंत्रों में से एक है, जिसे लंबे समय से आधुनिकीकरण की आवश्यकता थी। नई यूरिया परियोजना इसे आधुनिक, ऊर्जा-कुशल इकाई के रूप में विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले वर्षों तक क्षेत्र की उर्वरक आवश्यकताओं को पूरा कर सकेगी।

–आईएएनएस

डीएससी


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