हिमालय की 16,000 फीट ऊंची चोटियों पर हथियार व रसद ले जाएगा सेना का हाई-एल्टीट्यूड मोनोरेल सिस्टम


नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। हिमालय की हजारों फीट ऊंची चोटियों के लिए सेना ने एक हाई-एल्टीट्यूड मोनोरेल सिस्टम विकसित किया है। ये वे हिमालयन क्षेत्र हैं जहां ऊंचाई, बर्फीली ढलान, अनिश्चित मौसम और दुर्गम भूभागों में अक्सर आपूर्ति मार्ग बाधित हो जाती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए यहां सेना ने हाई-एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक्स में एक उल्लेखनीय नवाचार कर दिखाया है। इस सिस्टम से अग्रिम सैन्य चौकियों तक हथियार, गोला बारूद व रसद सामग्री पहुंचाई जा सकती है।

सेना का कहना है कि यह सिस्टम दिन-रात, किसी भी मौसम में काम करने के लिए उपयुक्त है। यह जटिल से जटिल परिस्थितियों जैसे कि ओलावृष्टि, बर्फबारी व तूफान जैसे हालात में भी बिना एस्कॉर्ट के ही सुरक्षित रूप से संचालित किया जा सकता है। यह सिस्टम उन सभी अग्रिम सैन्य चौकियों में राहत प्रदान कर सकता है जो बर्फ के सड़क मार्ग के कारण कट जाती हैं। ये चौकियां ऐसे बर्फीले इलाकों में हैं जहां पारंपरिक परिवहन साधन अक्सर विफल हो जाते हैं, जिससे आवश्यक सामग्री पहुंचाना एक बड़ी चुनौती बनी रहती है।

लॉजिस्टिक्स के अलावा, यह मोनोरेल सिस्टम त्वरित चिकित्सा के लिए पीड़ित मरीजों की निकासी में भी एक नई संभावना लेकर आया है। ऐसे इलाकों में जहां हेलिकॉप्टर हमेशा उड़ान नहीं भर सकते और पैदल निकासी जोखिमपूर्ण व धीमी होती है, वहां यह प्रणाली घायल जवानों को सुरक्षित रूप से स्थानांतरित करने में उपयोगी साबित हो सकती है। हिमालय का कामेंग भी एक ऐसा ही क्षेत्र है। यहां की कठोर पर्वतीय श्रृंखला 16,000 फीट की ऊंचाई पर है। यह बर्फीली ढलानों व अनिश्चित मौसम वाला इलाका है। कठिन रास्ते अक्सर सैन्य सामग्रियों के आपूर्ति मार्गों को बाधित कर देते हैं। यहां सेना की गजराज कोर ने हाई-एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक्स में यह महत्वपूर्ण नवाचार कर दिखाया है।

सेना के मुताबिक ऐसे इलाकों में अग्रिम चौकियां कई दिनों तक बर्फ के कारण कट जाती हैं और पारंपरिक परिवहन साधन अक्सर विफल हो जाते हैं, जिससे आवश्यक सामग्री पहुंचाना एक बड़ी चुनौती बनी रहती है। इन्हीं परिचालन आवश्यकताओं को देखते हुए गजराज कोर ने स्वदेशी हाई-एल्टीट्यूड मोनोरेल सिस्टम को डिजाइन, विकसित और तैनात किया है। यह सिस्टम अब पूरी तरह परिचालन-योग्य है और 16,000 फीट पर लॉजिस्टिक सपोर्ट का स्वरूप बदल रहा है। यह अनोखा मोनोरेल सिस्टम एक बार में 300 किलोग्राम से अधिक भार ढोने में सक्षम है।

सेना के अनुसार, यह सिस्टम उन दुर्गम पोस्टों के लिए जीवनरेखा साबित हो रहा है, जहां न तो सड़क संपर्क है और न ही कोई अन्य संचार या आपूर्ति का साधन। इसके माध्यम से आवश्यक सैन्य सामग्री, गोला-बारूद, राशन, ईंधन, इंजीनियरिंग उपकरण, और भारी व असुविधाजनक लोड को आसानी से ढलानों और अस्थिर सतहों पर पहुंचाया जा सकता है। सेना की गजराज कोर की यह इन-हाउस तकनीकी उपलब्धि सेना परिचालन तत्परता को बढ़ाती है व हाई-एल्टीट्यूड पोस्टों की स्थायित्व क्षमता मजबूत करती है। यह पहल भारतीय सेना की चुनौतीपूर्ण समस्याओं का व्यावहारिक, मिशन-केंद्रित समाधान खोजने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। कमेग हिमालय जैसे कठिन क्षेत्रों में संचालन के लिए यह नवाचार भारतीय सेना की अनुकूलन क्षमता, अभिनव सोच और अदम्य जज्बे का प्रमाण है।

–आईएएनएस

जीसीबी/डीकेपी


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