प्रदेश में बिजली की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच तीन यूनिटों से 1070 मेगावाट उत्पादन ठप हो गया है। इन यूनिटों में ब्लॉयलर ट्यूब लिकेज होने की बात बताई जा रही है। इन्हें शुरू होने में दो से तीन दिन लग सकता है।
प्रदेश में गर्मी बढ़ते ही बिजली की खपत बढ़ गई है। इन दिनों करीब 28 से 29 हजार मेगावाट के बीच बिजली की मांग हो रही है। उत्तर प्रदेश स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक 18 से 22 मई के बीच चार यूनिटों से बिजली उत्पादन ठप हो गया, जिसमें 22 की सुबह रोजा की 300 मेगावाट की यूनिट चालू हो गई, जबकि ओबरा की 200 मेगावाट और ऊंचाहार की 210 एवं ललितपुर की 660 मेगावाट का उत्पादन ठप है। इस तरह 1070 मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू होने में एक से दो दिन लग सकता है। ब्लॉयलर के ठंडा होने के बाद ही लिकेज को ठीक किया जा सकेगा।
विद्युत ट्रांसमिशन लाइनों के विस्तार में प्रदेश अव्वल
प्रदेश ट्रांसमिशन लाइनों के विस्तार में अव्वल है। वित्तीय वर्ष 2024 में राज्य उपयोगिता में कुल मिलाकर 6,993 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनों का विस्तार किया गया, जो लक्ष्य 11,002 सर्किट किलोमीटर के सापेक्ष लगभग 64 प्रतिशत है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक 220 केवी या उससे ऊपर की 1,460 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें विस्तारित की गई। राज्य उपयोगिता की रैंकिंग में गुजरात दूसरे स्थान पर है। 220 केवी की डबल-सर्किट की लाइन को भी चालू किया, जो कि महाराजगंज सबस्टेशन से पीगीसीआईएल के 400 केवी गोरखपुर सबस्टेशन तक कुल 174 सर्किट किलोमीटर है। इसी तरह 400 केवी की 478 सर्किट किलोमीटर की अलीगढ़ से शामली तक की डबल-सर्किट की ट्रांसमिशन लाइन को चालू करने की तैयारी चल रही है।