आनंद विहार नमो भारत भूमिगत स्टेशन एनसीआरटीसी आईजीबीसी प्लेटिनम रेटिंग से सम्मानित


नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) को उसकी हरित पहल और पर्यावरणीय सततता के प्रति समर्पण के लिए एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई। एनसीआरटीसी के आनंद विहार नमो भारत (भूमिगत) स्टेशन को इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) द्वारा प्लेटिनम रेटिंग से सम्मानित किया गया है। यह रेटिंग आईजीबीसी के ग्रीन सर्टिफिकेशन प्रोग्राम के तहत प्रदान की जाने वाली सर्वोच्च श्रेणी की मान्यता है।

यह सम्मान इस बात का प्रतीक है कि एनसीआरटीसी ने परियोजनाओं में न सिर्फ आधुनिक तकनीक का उपयोग किया है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्थायी विकास के सिद्धांतों को भी प्राथमिकता दी है। नमो भारत कॉरिडोर के अंतर्गत आने वाले सभी प्रमुख ढांचों— जैसे डिपो, स्टेशन, रिसीविंग सब-स्टेशन (आरएसएस) और अन्य इमारतों — को आईजीबीसी के साथ पंजीकृत किया गया है।

आईजीबीसी ग्रीन मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम रेटिंग के अंतर्गत परियोजना का मूल्यांकन छह प्रमुख पर्यावरणीय मानकों पर किया गया, जिनमें साइट चयन एवं योजना, जल दक्षता, ऊर्जा दक्षता, सामग्री संरक्षण, आंतरिक पर्यावरण गुणवत्ता एवं यात्री आराम, तथा डिजाइन और निर्माण में नवाचार शामिल हैं। एनसीआरटीसी ने इन सभी श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए यह प्रतिष्ठित प्लेटिनम रेटिंग प्राप्त की। परियोजना के हर चरण में सस्टेनेबिलिटी को प्राथमिकता दी गई है।

निर्माण कार्यों में कम कार्बन उत्सर्जन वाली तकनीकों का उपयोग, ऊर्जा-कुशल उपकरणों की स्थापना, प्राकृतिक वेंटिलेशन को ध्यान में रखकर स्टेशनों का डिजाइन, और वर्षा जल संचयन जैसी व्यवस्थाएं इस दृष्टिकोण का हिस्सा हैं। नमो भारत वायडक्ट के नीचे की ग्रीन लैंडस्केपिंग भी कार्बन फुटप्रिंट घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

एनसीआरटीसी का लक्ष्य अपनी कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरा करना है। अपनी सौर नीति के तहत, संगठन ने स्टेशनों और डिपो की छतों पर 15 मेगावाट पीक क्षमता की सौर ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से फिलहाल 4.7 मेगावाट उत्पादन शुरू हो चुका है। ट्रैक्शन में भी नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है।

एनसीआरटीसी के अनुसार, आनंद विहार स्टेशन को मिला यह सम्मान न सिर्फ संगठन की हरित प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि भारत में बड़े बुनियादी ढांचे वाले प्रोजेक्ट भी सतत विकास के साथ आगे बढ़ सकते हैं।

बता दें कि सीआईआई के तहत कार्यरत आईजीबीसी एक स्वायत्त गैर-लाभकारी संस्था है, जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी। यह संस्था इमारतों, कार्यालयों, फैक्ट्रियों और बड़े परिवहन तंत्रों को पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए ग्रीन रेटिंग प्रदान करती है।

–आईएएनएस

पीकेटी/डीकेपी


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