एआई-डीपफेक अलर्ट: भारत विरोधी फर्जी वीडियो फैला रहा पाकिस्तानी नेटवर्क, सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान से जुड़े अकाउंट्स (खासकर सुरक्षा एजेंसियों से लिंक वाले) सोशल मीडिया पर एआई-जनरेटेड डीपफेक वीडियो और इमेज अपलोड कर रहे हैं। इनका मुख्य मकसद भारत के खिलाफ झूठा नैरेटिव फैलाना, सांप्रदायिक तनाव भड़काना और गलत सूचनाएं फैलाकर क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करना है। यह ट्रेंड हाल के महीनों में तेज हुआ है, और कई मीडिया रिपोर्ट्स इसे संगठित ‘डिसइन्फॉर्मेशन कैंपेन’ बता रही हैं।
इंटरनेशनल बिजनेस टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकारों और विश्लेषकों ने पाया कि कई वायरल पोस्ट पाकिस्तान की मिलिट्री और इंटेलिजेंस से जुड़े एक्स अकाउंट से आए थे।
फैक्ट-चेकर्स ने ऐसे क्लिप्स को गलत बताया है जिनमें न्यूज फॉर्मेट की नकल की गई है, लेकिन उनमें अजीब ऑडियो-विजुअल गड़बड़ियां, आंखों की बार-बार हरकतें, क्लिप की हुई बातें और गलत लिप-सिंक दिखते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “यह ट्रेंड इलाके की स्थिरता और पाकिस्तान के अपने सूचना इकोसिस्टम के लिए परेशान करने वाला है—और जवाबी कार्रवाई के लिए पाकिस्तान को सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर गलत जानकारी फैलाने से रोकने के लिए इंटरनेशनल सतर्कता की जरूरत होगी।”
उदाहरणों में एआई से बनी एक क्लिप शामिल है जिसमें आईएएफ चीफ, एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह भारत के तेजस फाइटर की आलोचना करते हुए दिख रहे हैं, और एक क्लिप जिसमें पूर्व भारतीय आर्मी चीफ वी.पी. मलिक को सांप्रदायिक बातें करते हुए दिखाया गया है। दोनों ही क्लिप्स फर्जी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे वीडियो के कथित सर्कुलेटर, ‘पाक वोकल्स’ अकाउंट को पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री, अताउल्लाह तरार फॉलो करते थे, जिससे पता चलता है कि देश के शीर्ष नेता की इसमें काफी दिलचस्पी है और वो इसे आगे बढ़ाने में यकीन रखते हैं।
इसके अलावा, कोऑर्डिनेशन स्टाइल, जिसमें पोस्ट के बाद तेजी से डिलीट करना और नेटवर्क का एक-दूसरे को बढ़ाना शामिल है, ये पैटर्न नौसिखियों के बजाए योजनाबद्ध तरीके से अंजाम देने की कोशिश को दर्शाता है। मीडिया स्टेटमेंट और प्रेस ब्रीफिंग में, पाकिस्तानी अधिकारियों ने “ऑर्गनाइज्ड डिसइन्फॉर्मेशन” की समस्या पर बात की थी, जबकि वे खुद इसके जरिए लोगों को टारगेट करते हैं।
पाकिस्तान के इस दुष्प्रचार अभियान में अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों को भी मनमाने तरीके से पेश किया गया है। उदाहरणों में 2025 में इजरायल-ईरान युद्ध शामिल है, जब कई पाकिस्तानी न्यूज आउटलेट्स ने एक इजरायली स्टूडियो का वीडियो दिखाया था, जिसके बारे में कहा जाता है कि उस पर हमला किया गया था। फैक्ट चेक में ये फर्जी साबित हुआ था।
इसी तरह, भारतीय पत्रकार पालकी शर्मा उपाध्याय के एआई (डीपफेक जनरेटेड) वीडियो पाकिस्तानी सोशल मीडिया नेटवर्क पर सर्कुलेट हो रहे हैं। नकली क्लिप में उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जॉर्डन दौरे के डिप्लोमैटिक प्रोटोकॉल पर सवाल उठाते हुए दिखाया गया था।
–आईएएनएस
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