आखिर क्या है तारिक रहमान की ‘योजना’? जिससे सुधरेंगे बांग्लादेश के हालात!


नई दिल्ली, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान ने गुरुवार को ढाका में देशवासियों से संबोधन के दौरान कहा कि उनके पास बांग्लादेश और उसके लोगों के लिए एक “प्लान” है, लेकिन उन्होंने इसके ठोस ब्योरे साझा नहीं किए।

बता दें कि 60 वर्षीय तारिक रहमान के माता-पिता दोनों ही बांग्लादेश में शीर्ष सत्ता पदों पर रह चुके हैं। उनके पिता जियाउर रहमान 1977 से 1981 तक बांग्लादेश के छठे राष्ट्रपति रहे, जिनकी हत्या कर दी गई थी। वहीं उनकी मां खालिदा जिया 1991 से 1996 और फिर 2001 से 2006 तक देश की प्रधानमंत्री रहीं और इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला बनीं।

इस राजनीतिक विरासत और फरवरी में होने वाले अहम आम चुनाव से पहले 17 वर्षों के लंबे निर्वासन के बाद उनकी वापसी को देखते हुए, उनका संबोधन स्वाभाविक रूप से राजनीतिक था। हालांकि, अपने संक्षिप्त भाषण में उन्होंने स्वयं को सीधे तौर पर भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश नहीं किया, लेकिन कई मौकों पर अपने पारिवारिक योगदान और विरासत का उल्लेख किया।

17 साल बाद उनकी वापसी को बीएनपी के नेतृत्व पर दोबारा दावा करने और जनसमर्थन जुटाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। अपने भाषण में उन्होंने शांति, सुरक्षा और एकता से भरे बांग्लादेश की बात की और कहा कि मौजूदा अस्थिरता कानून-व्यवस्था और आम लोगों के जीवन के लिए बड़ा खतरा बन गई है।

उन्होंने अंग्रेज़ी में कहा, “मेरे पास अपने देश के लिए, अपने देश के लोगों के लिए एक योजना है।” हालांकि, यह योजना क्या है, इसका विस्तृत खाका अभी सामने नहीं आया है। यह भी देखना बाकी है कि क्या इसमें विरोधियों और आलोचकों को भी शामिल किया जाएगा। बीएनपी की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी अवामी लीग को 2026 के चुनावों से बाहर रखा गया है, जबकि उसकी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत में शरण ली हुई है।

तारिक़ रहमान स्वयं निर्वासन का अनुभव कर चुके हैं और उन्होंने एक बार फिर शेख हसीना सरकार पर दमन और राजनीतिक अलगाव के आरोप दोहराए, लेकिन अपने भाषण में उन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के भविष्य या उस पर चल रहे मृत्युदंड के मामले पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की।

उन्होंने यह जरूर कहा कि “बांग्लादेश के लोग अपनी बोलने की आज़ादी और लोकतांत्रिक अधिकारों को वापस पाना चाहते हैं।” कुछ विश्लेषक इसे अवामी लीग नेताओं पर चुनाव लड़ने की पाबंदी से जोड़कर देख रहे हैं।

तारिक़ रहमान ने सभी धर्मों और आस्थाओं के लोगों को साथ लेकर चलने वाले समावेशी समाज की बात की, लेकिन हालिया हिंसा, आगजनी और हत्याओं की घटनाओं की उन्होंने सीधे तौर पर निंदा नहीं की और न ही पीड़ितों के प्रति विस्तृत संवेदना व्यक्त की।

उन्होंने उस्मान हादी को श्रद्धांजलि दी और “आर्थिक अधिकारों को फिर से हासिल करने” की जरूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने आर्थिक न्याय को आम नागरिकों की समस्याओं से जोड़ते हुए 1971 और 2024 के संघर्षों का हवाला दिया, ताकि अतीत के बलिदानों और वर्तमान मांगों के बीच निरंतरता दिखाई जा सके।

अपने संबोधन के ज़रिए तारिक़ रहमान ने फरवरी चुनाव से पहले बीएनपी को एक प्रमुख वैकल्पिक राजनीतिक ताकत के रूप में पेश करने की कोशिश की, खासकर ऐसे समय में जब देश के कई लोग खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं।

1971 के मुक्ति संग्राम, 1975 के विद्रोह और 1990 के दशक के जनआंदोलनों का उल्लेख कर उन्होंने स्वयं को बांग्लादेश के लोकतांत्रिक संघर्षों का उत्तराधिकारी बताया।

–आईएएनएस

डीएससी


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