अफ्रीकी नेताओं की कांगो में तत्काल युद्ध विराम की अपील


दार एस सलाम, 9 फरवरी (आईएएनएस)। अफ्रीकी नेताओं ने लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो (डीआरसी) में ‘तत्काल युद्ध विराम’ की अपील की। उन्होंने संघर्ष के स्थायी समाधान के लिए अपना पूरा समर्थन देने का वादा किया।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी अफ्रीकी समुदाय (ईएसी) और दक्षिण अफ्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) ने संयुक्त रूप से ‘ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन’ का आयोजन शनिवार को किया। इसमें पूर्वी डीआरसी में बढ़ते संकट पर चर्चा की गई। सम्मेलन तंजानिया के बंदरगाह शहर दार एस सलाम में आयोजित हुआ।

क्षेत्रीय नेताओं ने डीआरसी में ‘तत्काल युद्ध विराम’ और आपूर्ति लाइनों की बहाली की अपील की।

यह अपील ऐसे समय में की गई जब ’23 मार्च मूवमेंट’ (एम23) कथित तौर पर दक्षिण किवु प्रांत की राजधानी बुकावु की ओर बढ़ रहा है। वह उत्तर किवु प्रांत की राजधानी और एक प्रमुख क्षेत्रीय केंद्र गोमा में अपना तथाकथित प्रशासन स्थापित कर चुका है।

स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं ने ईएसी-एसएडीसी रक्षा बलों के प्रमुखों को तत्काल और बिना शर्त युद्ध विराम लागू करने के लिए पांच दिनों के अंदर बैठक करने का निर्देश दिया, ताकि युद्ध विराम के लिए तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की जा सके।

नेताओं ने मानवीय आपूर्ति लाइनों को बहाल करने के लिए यातायात मार्गों को फिर से खोलने का आग्रह किया। विशेष रूप से गोमा और बुकावु को जोड़ने वाली सड़क। साथ ही गोमा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को भी खोलने की अपील की, जो संघर्ष के दौरान बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है।

नेताओं की ओर से कहा गया कि राजनीतिक और कूटनीतिक जुड़ाव पूर्वी डीआरसी में संघर्ष का सबसे स्थायी समाधान है। क्षेत्रीय नेताओं ने मौजूदा क्षेत्रीय मध्यस्थता ढांचे के तहत ‘एम 23’ सहित सभी राज्य और गैर-राज्य पक्षों के साथ सीधी बातचीत फिर से शुरू करने के लिए समर्थन व्यक्त किया।

किंशासा ने ‘एम 23’ के साथ किसी भी तरह की सीधी बातचीत को अस्वीकार कर दिया है। लेकिन ईएसी के नेतृत्व वाली और पूर्व केन्याई राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा द्वारा समर्थित शांति पहल, ‘नैरोबी शांति प्रक्रिया’ को पुनर्जीवित करने का संकेत दिया।

‘एम23’ और कांगो सरकार के बीच संघर्ष 1994 के रवांडा नरसंहार के बाद के हालात और वर्तमान जातीय तनाव, [विशेष रूप से तुत्सी और हुतु आबादी के बीच] से गहराई से जुड़ा हुआ है।

डीआरसी ने रवांडा पर ‘एम23’ का समर्थन करने का आरोप लगाया है। वहीं रवांडा का दावा है कि डीआरसी की सेना ने रवांडा के विद्रोही समूह ‘डेमोक्रेटिक फोर्सेस फॉर द लिबरेशन ऑफ रवांडा’ के साथ गठबंधन किया है, जिस पर 1994 के नरसंहार में शामिल होने का आरोप है।

रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागमे और उनके डीआरसी समकक्ष फेलिक्स त्सेसीकेदी दोनों ने शनिवार के सम्मेलन में भाग लिया।

–आईएएनएस

एससीएच/एमके


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