नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। एक शीर्ष न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा है कि एक स्वस्थ व्यक्ति को कम नमक वाला आहार नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल जैसी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके साथ ही मौत की खतरा भी बना रहता है।
हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “आम धारणा है कि नमक सेहत के लिए अच्छा नहीं है।”
उन्होंने कहा कि कई डॉक्टर हाई बीपी और हार्ट संबंधी बीमारियों के जोखिम से बचने के लिए कम नमक खाने की सलाह देते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वयस्कों के लिए रोजाना 2000 मिलीग्राम/दिन से कम सोडियम की सिफारिश करता है। यह प्रतिदिन 5 ग्राम नमक (लगभग एक टीस्पून) के बराबर है।
कुमार ने कहा, ”नमक कम खाने से स्वस्थ लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस का खतरा हो सकता है, जिससे मधुमेह का जोखिम बढ़ा सकता है।”
उन्होंने कहा, “नमक का कम सेवन भी कुल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि का कारक है।”
विशेषज्ञ ने जोर देकर कहा कि मस्तिष्क, तंत्रिकाओं और मांसपेशियों के समुचित कामकाज के लिए सोडियम आवश्यक है। कम सोडियम सेवन वाले लोगों को “कमजोरी, थकान, चक्कर आना, कोमा और दौरे जैसी समस्या हो सकती है। इसे अलावा कई गंभीर मामलों में मौत भी हो सकती है।
वहीं, अधिक नमक वाला आहार लेने से हाई बीपी वालों का ब्लड प्रेशर और बढ़ सकता है।
उच्च रक्तचाप वाले लोगों के एक उपसमूह में रक्तचाप का स्तर बढ़ सकता है, जिसे सॉल्ट-सेंसिटिव हाइपरटेंशन कहा जाता है।
न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा, “लगभग 50 प्रतिशत उच्च रक्तचाप वाले लोग नमक के प्रति संवेदनशील होते हैं, और उन्हें अपने सोडियम सेवन को 2300 मिलीग्राम/दिन (प्रति दिन 5.8 ग्राम नमक) तक सीमित रखना चाहिए।”
कुमार ने कहा, “महिलाओं, बुजुर्गों, मोटे लोगों और क्रोनिक किडनी रोग वाले लोगों में नमक के प्रति संवेदनशीलता अधिक आम है, और उच्च नमक वाला आहार उनमें हाई बीपी के जोखिम को बढ़ा सकता है।”
उन्होंने सुझाव दिया कि सामान्य किडनी वाले स्वस्थ लोग सामान्य नमक वाला आहार लें, जबकि कम नमक वाला आहार लेने वालों को हाइपोनेट्रेमिया (सोडियम की कमी) के संकेतों और लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए।
–आईएएनएस
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