मुंबई, 12 जनवरी (आईएएनएस)। मकर संक्रांति के अवसर पर अपने बचपन के दौरान पतंग उड़ाने के अनुभवों को याद करते हुए अभिनेत्री गीतांजलि मिश्रा ने कहा कि कैसे हंसी-मजाक, सौहार्द्र और कभी-कभार होने वाली दुर्घटनाएं सभी पतंगों के ताने-बाने में बुनी जाती हैं, जो न केवल एक मौसमी उत्सव का प्रतीक है, बल्कि आसमान के साथ साल भर चलने वाले प्रेम संबंध का भी प्रतीक है।
मकर संक्रांति को पतंग उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, जो पूरे भारत में खुशी से मनाया जाता है। उत्सव की भावना को वसंत की शुरुआत का प्रतीक पतंगें उड़ाकर चिह्नित किया जाता है।
उत्तर प्रदेश की रहने वाली गीतांजलि ने कहा, “यूपी में पतंगबाजी सिर्फ मकर संक्रांति के लिए ही नहीं है, यह साल भर का जुनून है। पतंगों की जीवंत छटा पूरे वर्ष आकाश को रंगीन बनाए रखती है। एक बच्चे के रूप में मैंने छतों पर इसके लिए अनगिनत घंटे बिताए। मकर संक्रांति से दो सप्ताह पहले प्रत्याशा बढ़ जाती थी, जिससे मैं और मेरे दोस्त पतंग खरीदने की होड़ में लग जाते थे।”
‘कुंडली भाग्य’ की अभिनेत्री ने आगे कहा, “थोक खरीदारी के साथ हम अपनी छतों पर जाते थे और उन्हें हवाई लड़ाई के लिए जीवंत मैदान में बदल देते थे। विरोधियों की पतंगों को काटने और एक छत से दूसरे छत तक उत्साहपूर्वक उनका पीछा करने का रोमांच हमारे दिनों का सार बन जाता था।”
गीतांजलि ने यह याद करते हुए बताया कि कैसे वह इन आनंदमयी यात्राओं में से एक के दौरान घायल हो गई थी। अभिनेत्री ने बताया, ”एक घटना मुझे याद है, एक उड़ती हुई पतंग का पीछा करने के दौरान मैं गिर गई जिससे मुझे मामूली चोटें आईं। मैंने इस बात को अपनी मां से छिपाया। हालांकि मां को जल्द ही सच्चाई का पता चल गया। इससे मेरा पूरा परविार चिंतित हो गया।”
अभिनेत्री वर्तमान में सिटकॉम ‘हप्पू की उलटन पलटन’ में राजेश सिंह के रूप में नजर आ रही हैं। यह शो एंड टीवी पर प्रसारित होता है।
–आईएएनएस
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