विवाहित व्यक्ति का सहमति संबंध में रहना दूसरे विवाह जैसा अपराध, पढ़े पूरी ख़बर

विवाहित व्यक्ति का सहमति संबंध में रहना दूसरे विवाह जैसा अपराध, पढ़े पूरी ख़बर

हाईकोर्ट ने पटियाला निवासी जोड़े की सुरक्षा से जुड़ी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि व्यभिचार के मामले में किसी भी आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए याचिका दायर की गई है। याचिका की आड़ में याची अपने छिपे इरादे व आचरण पर कोर्ट की मुहर चाहता है।

जीवन साथी से तलाक लिए बिना सहमति संबंध में कामुक और व्यभिचारी जीवन जीने वाले व्यक्ति को दूसरे विवाह का दोषी ठहराया जा सकता है। पुरुष पहले से शादीशुदा है और उसकी दो साल की बेटी भी है। इन तथ्यों को देखते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पटियाला निवासी जोड़े की सुरक्षा से जुड़ी याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।

याची और उसकी सहमति संबंध साथी ने रिश्तेदारों से जान को खतरा बताकर सुरक्षा की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के दौरान जोड़े ने हाईकोर्ट को बताया कि याची का उसकी पत्नी के साथ तलाक का मामला फैमिली कोर्ट में विचाराधीन है। याची के परिवार के सदस्यों ने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया है, लेकिन युवती के परिवार के सदस्यों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी है।

इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि याची की हरकतें इस तथ्य के बावजूद आईपीसी के 494 (जीवनसाथी के जीवित रहते दोबारा शादी करना) और 495 (जिस से विवाह करने जा रहे हैं उससे पूर्व के विवाह का तथ्य छुपाना) के तहत अपराध हो सकता है। धमकियों के संबंध में बेबुनियाद और अस्पष्ट आरोप ही मौजूद हैं। आरोपों के समर्थन में कोई सामग्री नहीं रखी गई। दावों का समर्थन करने के लिए किसी भी वैध और ठोस सामग्री के अभाव में आरोपों को कोर्ट की ओर से स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

यह दंडनीय है, हो सकती है सात साल की जेल

हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि व्यभिचार के मामले में किसी भी आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए याचिका दायर की गई है। याचिका की आड़ में याची अपने छिपे इरादे व आचरण पर कोर्ट की मुहर चाहता है। जीवन साथी से तलाक का वैध आदेश प्राप्त किए बिना पिछली शादी के अस्तित्व के दौरान याची दूसरी युवती के साथ वासनापूर्ण और व्यभिचारी जीवन जी रहा है। यह दंडनीय अपराध है और इसमें जुर्माने के साथ अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है।

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