एक देश-एक संविधान : केंद्र का वो ऐतिहासिक फैसला, जिसने बदल दी जम्मू-कश्मीर की सूरत

नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए के खात्मे को 5 अगस्त को 6 वर्ष हो जाएंगे। केंद्र में लगातार दूसरी बार आई मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला लिया गया था। इस फैसले के तहत राज्य का विशेष दर्जा खत्म हो गया और उसे पूरी तरह भारतीय संविधान के ढांचे में शामिल कर लिया गया। एक देश-एक संविधान के तहत केंद्र का यह वो ऐतिहासिक फैसला था, जिसने जम्मू-कश्मीर की सूरत बदल दी।
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था। भारत का अभिन्न अंग होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में भारत के कानून लागू नहीं होते थे, यहां देश का विधान लागू नहीं होने के साथ यहां का निशान भी अलग था। जब साल 2019 में दूसरी बार केंद्र में मोदी सरकार आई, तब केंद्रीय मंत्रीमंडल में अमित शाह ने गृह मंत्री के रूप में शपथ ली। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का प्रस्ताव पेश किया था। उस वक्त अमित शाह ने कहा था कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय का आधार नहीं था, बल्कि उसे भारत में विलय से रोकता था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 रद्द करने को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा काटा था। हालंकि इससे पहले जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित करने का प्रस्ताव पारित करा लिया गया था और इसके ठीक बाद 370 के खात्मे के लिए संसद के पटल पर प्रस्ताव रखा गया।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में काफी बदलाव देखने को मिला। पिछले 6 सालों में आतंकवादी घटनाओं में गिरावट आई और शासन, बुनियादी ढांचे एवं नागरिक भागीदारी में बड़ा परिवर्तन आया है। साथ ही स्थानीय चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव भी हुए।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में 2020 में जिला विकास परिषद (डीडीसी) का चुनाव संपन्न हुआ। परिसीमन के बाद साल 2024 में पहले लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव हुए। विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को जीत मिली और राज्य को एक चुनी हुई सरकार मिली। उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने। इस चुनाव में महिलाओं और युवाओं समेत सभी मतदाताओं ने हिस्सा लिया और अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
अगर जम्मू-कश्मीर में विकास की बात करें तो शिक्षा और सशक्तिकरण को इन सालों में यहां बढ़ावा मिला। राज्य में आईआईटी जम्मू, एम्स अवंतीपोरा और रियासी में मेडिकल कॉलेज के जरिए शिक्षा का दायरा बढ़ा। अनुच्छेद 370 हटने के बाद बाहरी व्यक्तियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का अधिकार मिला, जिससे राज्य में निवेश बढ़ रहा है। अगर सरकारी आंकड़ों पर ध्यान दें तो 2019 के बाद 80,000 करोड़ रुपए का निवेश प्रदेश में हुआ। इससे राज्य में रोजगार के साथ-साथ उद्योग भी बढ़ा है। जहां पहले राज्य में आए दिन पत्थरबाजी की घटनाएं होती थी, वहीं अब राज्य में अमन-शांति का माहौल है।
–आईएएनएस
डीकेपी/जीकेटी