कर्नाटक में सभी मुस्लिमों को पिछड़ा वर्ग में रखने पर एनसीबीसी हैरान!

कर्नाटक में सभी मुस्लिमों को पिछड़ा वर्ग में रखने पर एनसीबीसी हैरान!

कर्नाटक में सभी मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के राज्य सरकार के फैसले से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) हैरान है। एनसीबीसी कहा कि इस तरह वर्गीकरण सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करता है। कर्नाटक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार मुस्लिम धर्म की सभी जातियों और समुदायों को पिछड़े वर्गों की राज्य सूची में श्रेणी ढ्ढढ्ढ बी के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

एनसीबीसी ने पिछले साल दौरे के दौरान शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए राज्य की आरक्षण नीति की समीक्षा की थी। सोमवार रात को एनसीबीसी ने बयान जारी कर कहा कि राज्य में मुस्लिमों की सभी जातियों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा मानकर राज्य में पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है। इससे उन्हें शिक्षण संस्थानों में दाखिले में और राज्य सेवाओं में भर्ती में आरक्षण का लाभ मिलेगा।

एनसीबीसी ने कहा कि सभी मुस्लिम समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का फैसला सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करेगा। हालांकि, एनसीबीसी ने जोर दिया कि मुस्लिम समुदाय के भीतर वास्तव में वंचित और हाशिए पर रहने वाले लोग हैं, लेकिन पूरे मुस्लिम समुदाय को पिछड़ा मानने से मुस्लिम समाज के भीतर विविधता की अनदेखी होती है।

एनसीबीसी ने सरकार के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण पर भी प्रभाव पड़ेगा। कर्नाटक में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए स्थानीय निकाय चुनाव में 32 प्रतिशत आरक्षण का दिया जाता है। राज्य में मुस्लिम जनसंख्या करीब 12.92 प्रतिशत है।

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