देश की अर्थव्यवस्था को कांग्रेस सरकार ने 'बिगाड़ा', पीएम मोदी ने 'संभाला'

देश की अर्थव्यवस्था को कांग्रेस सरकार ने 'बिगाड़ा', पीएम मोदी ने 'संभाला'

नई दिल्ली, 16 फरवरी (आईएएनएस)। एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी के तमाम नेता और खासकर राहुल गांधी देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की बिगड़ती हालत का हवाला देकर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करते रहते हैं। वहीं, संसद में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जारी श्‍वेतपत्र ने जो खुलासा किया, उससे यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन का खुलासा हो गया।

पीएम मोदी के दस साल के कार्यकाल में देश की आर्थिक सेहत को सुधारने की तमाम कोशिशों का इसमें जिक्र किया गया है। शायद यही वजह रही है कि पीएम मोदी कई बार यह दोहरा चुके हैं कि उन्होंने अगर इस पर काम नहीं किया होता तो देश में महंगाई आज चरम पर होती। इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर है, इसका पूरा ब्यौरा उस श्वेत पत्र में था, जिसकी वजह से पीएम मोदी दावा करते हैं कि अपने अगले कार्यकाल में वह देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वाली अर्थव्यवस्था वाला देश बना देंगे।

वित्तमंत्री ने संसद के पटल पर रखे श्वेत पत्र में बताया था कि कैसे कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने अपने कर्ज से देश की अर्थव्यवस्था को बड़ी चोट पहुंचाई थी। यही नहीं, यूपीए सरकार की आर्थिक कुप्रबंधन की वजह से विदेशी निवेशक भारत में निवेश करने से परहेज करने लगे था। विनिर्माण क्षेत्र में भी गिरावट देखने को मिली थी। इस दौरान महंगाई चरम पर पहुंच गई थी।

श्‍वेतपत्र के जारी आंकड़ों के अनुसार, 2004 में जब यूपीए सरकार ने अपना कार्यकाल शुरू किया था, तो उस वक्त देश की अर्थव्यवस्था आठ फीसद की दर से बढ़ रही थी। उद्योग और सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर 7 फीसद से अधिक थी। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 9 फीसद से ज्यादा थी। 2004 से 2008 के बीच अटल बिहारी वाजेपयी की आर्थिक नीतियों के परिणामस्वरूप देश की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली थी। हालांकि, यूपीए सरकार ने 2008 तक अर्थव्यवस्था में हुई उल्लेखनीय वृद्धि का श्रेय अपने नाम कर लिया, लेकिन इसके बाद हुए राजकोषीय घाटे और मुद्रा स्फ्रीति दर में गिरावट का ठीकरा वैश्विक आर्थिक मंदी पर फोड़ दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान कोविड और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी भयावह समस्याओं, जिससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई, को मात देकर अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत स्थिति में बनाए रखा।

श्‍वेतपत्र के मुताबिक, 2009 से 2014 के बीच महंगाई चरम पर थी। 2009 से 2014 के बीच राजकोषीय घाटे में उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिली, जिसकी वजह से आम जनता को आर्थिक मोर्चे पर परेशानियों का सामना करना पड़ा। यही नहीं, 2010 से 2014 के बीच मुद्रास्फ्रीति दोहरे अंक में थी। 2004 से 2014 के बीच औसत मुद्रा स्फ्रीति दर 8.2 फीसद थी। आर्थिक मोर्चे पर भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह स्थिति किसी आपदा से कम नहीं थी। यूपीए सरकार के कुछ सालों में मुद्रास्फ्रीति दर दोहरे अंक पर बनी हुई थी।

श्‍वेतपत्र में वित्तमंत्री ने बताया था कि कैसे यूपीए सरकार द्वारा लिए गए कर्जों ने देश में बैंकिंग व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया था। वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जब एनडीए सत्ता में आई थी, तो नॉन परफॉर्मिंग एसेट 16 फीसद थी। इसके बाद जब यूपीए सत्ता पर काबिज हुई, तो यह 7.8 फीसद के आसपास पहुंच गया। श्‍वेतपत्र में बताया गया है कि 2004 से 2014 के बीच चक्रवृद्धि वार्षिक दर 21.1 फीसद पर पहुंच चुका था, जबकि मोदी सरकार 2004 से 2023 के बीच यह 4.5 फीसद है। वहीं, यूपीए सरकार में विदेशी मुद्रा भंडार स्थिति यह थी कि जुलाई 2011 में यह 294 अमेरिकी बिलियन डॉलर था। वो अगस्त 2013 तक घटकर 256 अमेरिकी बिलियन डॉलर रह गया। सितंबर 2013 तक आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार 6 महीने से थोड़े अधिक समय के लिए पर्याप्त था, जबकि मार्च 2004 में यह 17 महीने के लिए पर्याप्त था।

इस तरह यूपीए सरकार ने अपनी आर्थिक नाकामी के लिए 2008 में आई वैश्विक मंदी को जिम्मेदार ठहराया, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था इससे कोई खास प्रभावित नहीं हुई थी। यही नहीं, एक बार यूपीए सरकार ने अपनी विफलता खुद ही स्वीकार कर ली थी, जिसमें सरकार ने एक जनहित याचिका का जवाब देते हुए कहा था कि 40 हजार किमी राष्ट्रीय राजमार्गों में से 24 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग 1997 से 2002 तक एनडीए शासन में बने थे। यूपीए ने अपने 10 वर्षों के शासनकाल में महज 16 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग ही बनाए। इससे साफ जाहिर होता है कि यूपीए सरकार ने बुनियादी विकास पर ध्यान नहीं दिया।

श्‍वेतपत्र के मुताबिक यूपीए ने अपने 10 वर्ष के शासनकाल के दौरान कई सामाजिक योजनाओं में बड़ी धनराशि खर्च करने से परहेज किया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी खर्च करने से परहेज किया। वहीं, मोदी सरकार ने सत्ता पर काबिज होने के बाद यूपीए सरकार द्वारा की गई गलतियों में सुधार किया।

बता दें कि मोदी सरकार में जन औषधि केंद्र 80 से बढ़कर 10 हजार हो गए। आयुष्मान भारत योजना के तहत 50 लाख लोगों का बीमा किया गया। यही नहीं यूपीए सरकार ने रक्षा क्षेत्र की भी उपेक्षा की। 2012 तक सेना बुनियादी हथियार की कमी से जूझ रही थी। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद रक्षा क्षेत्र में विशेष जोर दिया। हिमालय क्षेत्र में रणनीतिक परियोजनाएं शुरू की। विनिर्माण का स्वदेशीकरण किया गया। रफाल का अधिग्रहण किया गया। सेना को ओआरओपी, आईएनएस विक्रांत, डिफेंस कॉरिडोर, बुलेट प्रूफ जैकेट सहित अन्य सैन्य उपकरण उपलब्ध कराए। बीआरओ के बजट में भी 4 गुना वृद्धि दर्ज की गई।

इसके अलावा श्‍वेतपत्र में यूपीए सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को प्रमुखता से दिखाया गया, जिसमें 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला भी शामिल है। कोल गेट घोटाले से सरकार को 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। इसके अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स, सारदा चिटफंड, आदर्श हाउसिंग सोसाइटी, ऑगस्टा वेस्टलैंड जैसे कुछ घोटालों ने देश की अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क कर दिया। वहीं, 2014 में जब प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रोजेक्ट किया था, तो उन्होंने अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया था कि “जब यूपीए सरकार जाएगी, तो बड़ी आर्थिक चुनौतियां छोड़कर जाएगी, लेकिन मैं घबराता नहीं हूं। मैं सब ठीक कर दूंगा।”

2014 के बाद देश में मोदी युग का आगाज हुआ, जिसके बाद अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में विकास की बयार चली। मोदी सरकार और यूपीए सरकार की नीतियों का तलनात्मक अध्ययन करें, तो 2004 से 2014 तक महंगाई दर जहां 8.2 फीसद थी, तो वहीं 2014 से 2023 के बीच यह 5 फीसद के करीब पहुंच चुकी है।

–आईएएनएस

जीकेटी/एबीएम

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