लोकसभा चुनाव से पहले सपा के सामने अपनों की परीक्षा

लोकसभा चुनाव से पहले सपा के सामने अपनों की परीक्षा

लखनऊ, 14 फरवरी (आईएएनएस)। इंडिया गठबंधन में शामिल होकर सपा भले ही विपक्षी एकता के साथ लोकसभा चुनाव में उतरने का दावा कर रही हो, लेकिन इस समय उसे अपनों की नाराजगी ज्यादा दर्द दे रही है।

राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा से नाराज होकर सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद ने न केवल अपने पद से इस्तीफा दिया है, बल्कि पार्टी पर भेदवभाव करने का आरोप लगाया है। पार्टी की एक अन्य सहयोगी अपना दल कमेरावादी की नेता और सिराथू से विधायक पल्लवी पटेल ने भी राज्यसभा चुनाव में सपा पर पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) की अनदेखी का आरोप लगाया है।

राजनीतिक जानकार कहते हैं कि अखिलेश इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। एक तो राज्यसभा में उन्हें विधायकों की एकजुटता दिखानी है, दूसरा लोकसभा चुनाव में अपने साथियों को भी संभाल कर रखना है। लेकिन फिलहाल ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। पहले रालोद मुखिया जयंत चौधरी सात सीटों पर गठबंधन होने के बावजूद कुछ सीटों पर पेंच फसने के कारण सपा का साथ छोड़ चुके हैं। अब पार्टी के नेता भी अलग हो रहे हैं। ऐसे में सपा के सामने अपने गठबंधन को बचाने और बागियों को रोकने की दोहरी चुनौती है।

स्वामी प्रसाद मौर्य लंबे समय से सपा में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनके हर बयान को समय-समय पर प्रो. रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव निजी राय बताते रहे हैं। वहीं, विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडे तो उनका “मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ” बता चुके हैं। इससे ज्यादा पीड़ा उन्हें इस बात की है कि पार्टी के अंदर भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उनके खिलाफ आ रहे बयानों पर कोई लगाम नहीं लगा रहे हैं। इसीलिए उन्होंने भेदभाव का आरोप लगाते हुए महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है।

राज्यसभा चुनाव के लिए सपा के उम्मीदवारों को लेकर पार्टी विधायक व अपना दल कमेरावादी नेता पल्लवी पटेल ने सपा नेतृत्व पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि सपा को पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समाज के लोग वोट देते हैं लेकिन राज्यसभा के उम्मीदवारों में पीडीए के लोग शामिल नहीं हैं। यह पीडीए के साथ धोखा है।

उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज के लोग भाजपा के खिलाफ लड़ाई में अखिलेश यादव के साथ मजबूती से खड़े हैं। उम्मीदवारों में मुस्लिम प्रत्याशी न होना उनके साथ धोखा है। उन्होंने राज्यसभा चुनाव में सपा उम्मीदवारों के पक्ष में वोट न करने का एलान किया है। उन्होंने कहा कि मैं इस धोखाधड़ी में शामिल नहीं हूं।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि सपा मुखिया अखिलेश के सामने लोकसभा चुनाव के पहले ही बड़ी चुनौती आ गई है। इनसे निपटना उनके लिए कठिन होगा क्योंकि वह इंडिया गठबंधन में इन्हीं छोटे सहयोगी दलों के कारण ज्यादा सीटें माँगने में जुटे थे। पहले रालोद, स्वामी प्रसाद मौर्या और अब अपना दल ने अखिलेश की नीति पर सवाल खड़े किए हैं।

फिलहाल सपा को राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस समेत सभी दलों को साधना जरूरी है जिससे लोकसभा चुनाव में पीडीए के पार्टी के साथ रहने का संदेश जा सके।

— आईएएनएस

विकेटी/एकेजे

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