ज्ञानवापी : व्यासजी के तहखाने में पूजा के आदेश पर आज फिर सुनवाई

ज्ञानवापी : व्यासजी के तहखाने में पूजा के आदेश पर आज फिर सुनवाई

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ में कल दोपहर बाद संशोधित अर्जी पर सुनवाई हुई। आज फिर इस मसले पर सुनवाई होगी।                  

ज्ञानवापी मामले को लेकर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें इंतजामिया मसाजिद के वकील सैयद फरमान नकवी ने 2 फरवरी को हुई अपनी बहस को आगे बढ़ाते हुए मुस्लिम पक्ष की तरफ से व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना शुरू किए जाने के आदेश को चुनौती दी गई है। इसके अलावा जिला जज के वाराणसी के डीएम को व्यास जी के तहखाना का रिसीवर नियुक्त किए जाने के आदेश को भी चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ में कल दोपहर बाद संशोधित अर्जी पर सुनवाई हुई। आज फिर इस मसले पर सुनवाई होगी।                      

ज्ञानवापी के बंद तहखानों के सर्वे की मांग पर सुनवाई 15 फरवरी को

ज्ञानवापी के बंद तहखानों एस-1 और एन-1 के एएसआई से सर्वे की मांग पर मंगलवार को एडीजे प्रथम अनिल कुमार पंचम की अदालत में सुनवाई हुई। मां शृंगार गौरी केस की वादिनी राखी सिंह के आवेदन पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से आपत्ति दाखिल की गई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तिथि 15 फरवरी नियत कर दी।                   

राखी सिंह की ओर से अधिवक्ता सौरभ तिवारी और अनुपम द्विवेदी अदालत में पेश हुए। कहा कि ज्ञानवापी परिसर के बंद तहखानों का एएसआई से सर्वे करना जरूरी है। ताकि, 15 अगस्त 1947 को परिसर का धार्मिक चरित्र क्या था, इसका पता चल सके। ज्ञानवापी में दक्षिण की तरफ एस-1 और उत्तर की तरफ एन-1 तहखाने का सर्वे नहीं हो सका है। दोनों के अंदर जाने का रास्ता ईंट-पत्थर से बंद किया गया है। बंद दरवाजों के ईंट-पत्थर पर पूरी इमारत का बोझ नहीं है। ऐसे में ईंट-पत्थरों को हटाकर और वर्तमान इमारत को नुकसान पहुंचाए बगैर सभी बंद तहखानों का वैज्ञानिक सर्वे हो सकता है।       

वहीं, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अधिवक्ता मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने एएसआई सर्वे के आवेदन का विरोध किया। कहा कि मूल वाद में एएसआई और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया ही नहीं गया है। फिर, सर्वे का आदेश कैसे दिया जा सकता है। इस पर हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पूर्व में निर्धारित कर चुका है। सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अनुसार एएसआई को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है।

E-Magazine