9 से 14 साल की बेटियों के लिए चलेगा अलग- अलग फेज में कैंसर टीका अभियान

9 से 14 साल की बेटियों के लिए चलेगा अलग- अलग फेज में कैंसर टीका अभियान

केंद्र सरकार के अंतरिम बजट 2024- 25 में नौ से 14 वर्ष की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए कैंसर टीकाकरण अभियान चलाने की घोषणा की है। हाल के बरसों में सर्वाइकल कैंसर एक महामारी की तरह बढ़ रहा है। सर्वाइकल कैंसर से भारत में हर साल करीबन 1.20 लाख महिलाएं इससे पीड़ित होती हैं और इसके कारण 77 हजार महिलाओं की मौत होती है। दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर के मरीजों में भारत के 20 फीसदी है। देश में सर्वाइकल कैंसर की जांच महज एक फीसदी महिलाएं कराती हैं। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि कम से कम 70 प्रतिशत महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की जांच होनी चाहिए। ऐसे में इस बीमारी से बचने और इसके रोकथाम के लिए अब भारत में कोविड वैक्सीनेशन की तरह सर्वाइकल कैंसर वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाएगा। आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (एनआईसीपीआर) के अधिकारियों के अनुसार मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के वैक्सीन के पहले फेज में टीके की उपलब्धता के अनुसार इसके टीकाकरण की योजना बनाकर शहर से गांव तक नौ से 14 वर्ष तक की लड़कियों का वैक्सीनेशन किया जाएगा। अलग अलग फेज में यह अभियान चलाया जाएगा। लोकसभा चुनाव के बाद इस अभियान के शुरू होने की संभावना है। 2024-25 में देश में इस आयुवर्ग की करीबन 6.8 करोड़ लड़कियों को कैंसर वैक्सीन लगाया जाएगा। अभी सिक्किम में दो डोज वाला सर्वाइकल कैंसर का टीका लगाया जा रहा है, बताया जा रहा है कि सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा बनाई जा रही कैंसर वैक्सीन का एक डोज लगाया जा सकता है।                      

आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (एनआईसीपीआर) की डायरेक्टर डॉ. शालिनी सिंह ने बताया कि देश में हर साल सर्वाइकल कैंसर के करीबन 1.2 लाख नए मरीज सामने आते हैं। इससे हर वर्ष 77 हजार महिलाओं की मौत होती है। इससे बचने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से नौ से 14 साल की लड़कियों के लिए कैंसर टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। वैक्सीन की उपलब्धता के अनुसार यह मिशन अलग अलग फेज में चलेगा। इस आयुवर्ग की देश में कुल 6.8 करोड़ लड़कियां हैं। पहले इन्हें ही टीका लगाना है। इसके बाद हर साल नौ साल की करीबन 1.12 करोड़ लड़कियों को यह कैंसर वैक्सीन लगाई जाएगी। सभी राज्यों से डेटा मंगवाया गया है, इसके बाद टीकाकरण की योजना बनाई जाएगी।                    

डॉ शालिनी का कहना है कि इस कैंसर वैक्सीन अभियान से लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता आने के अलावा सर्वाइकल कैंसर को रोकने में मदद मिलेगी। सीरम इंस्टीट्यूट की कैंसर वैक्सीन का इस अभियान में उपयोग किया जाएगा। सभी राज्यों से नौ से 14 उम्र की लड़कियों की कुल संख्या जिसमें स्कूली छात्राओं के साथ पढ़ाई छोड़ चुकी व अन्य इस आयुवर्ग की बच्चियों के भी डेटा मंगवाए गए हैं। इसके आधार पर योजना बनाई जाएगी कि पहले किस आयु वाली लड़कियों को टीका लगाना और दवा की उपलब्धता के अनुसार किस राज्य या शहर में यह टीकाकरण किया जाना है। 122 देशों में सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन को अपने नेशनल हेल्थ प्रोग्राम में शामिल कर रखा है। भारत में भी सिक्किम में सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन इस आयुवर्ग की लड़कियों को लगाया जा चुका है। यहां दो डोज में कैंसर टीकाकरण किया गया, सीरम वाली कैंसर वैक्सीन का एक डोज लगाया जा सकता है। वैक्सीन के एक डोज के असर के निष्कर्ष को देखने के बाद इसका फैसला किया जाएगा।                          

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की प्रेसिडेंट डॉ शरद अग्रवाल का कहना है कि हाल ही में अंतरिम बजट में सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से नौ से 14 साल तक की बच्चियों के लिए चलाए जाने वाले कैंसर वैक्सीनेशन स्वागत योग्य है। आज कैंसर भारत में सबसे बड़ी बीमारी है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के मामले ज्यादा दिखाई देते हैं। इस कैंसर वैक्सीन अभियान से इस बीमारी से लड़ने में बहुत मदद मिलेगी। सरकार को हेल्थ का बजट जीडीपी के 2.5 फीसदी रखना चाहिए, इसमें सेनिटाइजेशन व अन्य को अलग रखना चाहिए।                       

रीजनल कैंसर सेंटर रायपुर के डायरेक्टर व डीन डॉ. विवेक चौधरी ने बताया कि कैंसर के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। भारत में फेफड़े और मुंह के कैंसर के साथ महिलाओं में ब्रेस्ट व सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामले देखे जा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा अंतरिम बजट में सर्वाइकल कैंसर से महिलाओं को बचाने के लिए स्कूली स्तर पर नौ से 14 साल की बच्चियों के लिए वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाना, बहुत बड़ी पहल है। शहर से गांव स्तर तक के स्वास्थ्य केंद्रों में इसके वैक्सीनेशन होने से सर्वाइकल को जड़ से खत्म करने और इसे रोकने में मदद मिलेगी। आज देश में हर साल सवा लाख महिलाएं इस कैंसर से पीड़ित हो रही हैं, इतना ही नहीं इससे हर साल 75 हजार मरीजों की मौत हो रही है। भारत में सिक्किम में पिछले 6-7 सालों से सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन को डोज लगाया जा रहा है। उसके परिणाम भी वहां अच्छे मिले हैं। कैंसर को लेकर लोगों को जागरुक होना होगा। तंबाकू-शराब का सेवन नहीं करने के साथ लाइफ स्टाइल को सुधारना बेहद जरूरी है।                 

2016 से सिक्किम में हो रहा कैंसर टीकाकरण योजना, 97% वैक्सीनेशन हो चुका                        

सिक्किम में राज्य सरकार 2016 से नौ से 14 उम्र तक की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। सिक्किम ने स्कूल आधारित टीकाकरण के माध्यम से इस आयुवर्ग के लिए एचपीवी वैक्सीन का सफल मॉडल पेश किया है। आंकड़ों के अनुसार अब तक 97 फीसदी लड़कियों में वैक्सीनेशन किया जा चुका है। यहां दो डोज वाले गार्डासिल सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन लगाई गई।                 

नौ से 14 की उम्र सबसे कारगार, 26 साल की उम्र तक लगा सकते हैं टीका                    

डॉक्टरों के अनुसार सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) टीका लगाने की सबसे उचित उम्र 11 या 12 साल है, लेकिन टीकाकरण 9 साल से शुरू किया जा सकता है और 26 की उम्र तक लगाया जा सकता है। कुछ मामलों में विशेषज्ञों की अनुमति से इसे उस उम्र के बाद लगाने की अनुमति दी जाती है। अमेरिका में लड़कों और पुरुषों के लिए एचपीवी वैक्सीन (गार्डासिल 9) की सिफारिश की जाती है, लेकिन भारत में अभी तक इसकी अनुमति नहीं है।            

साल में दो करोड़ नए कैंसर मरीज मिल रहे, 97 लाख की मौत भी                        

डब्ल्यूएचओ की कैंसर एजेंसी, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने इसके नवीनतम आकलन को जारी किया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2022 में दो करोड़ नए कैंसर के मरीज सामने आए और 97 लाख की इस बीमारी से मौत हुई। करीबन हर पांचवे व्यक्ति को कैंसर होता है। हर नौ में से एक पुरुष और 12 में से एक महिला मरीज की मौत इस बीमारी से होती है।                 

फेफड़े, स्तन और कोलोरेक्टल कैंसर सबसे ज्यादा                          

आईएआरसी के ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी के आकलन अनुसार 2022 में विश्व में लगभग दो-तिहाई नए मरीज और मौतें 10 प्रकार के कैंसर से हुईं। फेफड़े का कैंसर दुनियाभर में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है, इसके 25 लाख नए मरीज सामने आए हैं। दूसरे स्थान पर महिला स्तन कैंसर है, जिसके 23 लाख नए मरीज, तीसरे नंबर पर कोलोरेक्टल कैंसर 19 लाख नए मरीज, प्रोस्टेट कैंसर के 15 लाख नए मरीज और पेट कैंसर के 97 हजार नए मरीज सामने आए।                  

फेफड़े के कैंसर से सबसे ज्यादा 18 लाख मौतें                   

आकलन के अनुसार फेफड़े कैंसर से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। 2022 में 18 लाख मरीजों की मौत इससे ही हुई। इसके बाद कोलोरेक्टल कैंसर से नौ लाख, लीवर कैंसर से 7.6 लाख, स्तन कैंसर से 6.7 लाख और पेट के कैंसर से 6.6 लाख की मौत हुई। एशिया में फेफड़े के कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज और मौतें होती है, इसका सबसे बड़ा कारण तंबाकू व उससे जुड़े उत्पाद है। पुरुषों के लिए, प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर दूसरे और तीसरे सबसे आम कैंसर थे, जबकि लीवर और कोलोरेक्टल कैंसर कैंसर से होने वाली मृत्यु के दूसरे और तीसरे सबसे आम कारण थे। महिलाओं में, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर नए मामलों और मौतों की संख्या दोनों के मामले में दूसरे और तीसरे स्थान पर थे।                  

सर्वाइकल कैंसर के 66 लाख मरीज, 3.48 लाख की मौत                   

सर्वाइकल कैंसर, कैंसर का आठवां सबसे बड़ा कारण है। 2022 में इसके 6,61,044 नए मरीज और 3,48,186 की मौत हुई। सर्वाइकल कैंसर 25 देशों में महिलाओं को आमतौर पर होने वाला कैंसर है।                    

2050 तक 3.5 करोड़ से नए कैंसर बढ़ने का अनुमान                          

डबल्यूएचओ के मुताबिक 2050 तक वैश्विक स्तर पर 3.5 करोड़ कैंसर के नए मरीज बढ़ने का अनुमान है, जो 2022 की तुलना में 77 फीसदी ज्यादा होगा। कैंसर के पीछे सबसे बड़ा कारण तंबाकू, शराब और मोटापा हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण में भी प्रमुख कारण है।

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