चमकते चांद को दूर से ही देखने वाले अब चांद पर जमीन खरीदने का सपना भी साकार कर रहे हैं। बल्दीराय क्षेत्र के एक व्यवसायी ने भी चांद पर तीन एकड़ जमीन खरीद ली है। कुछ अलग करने की तमन्ना में यह काम करने वाले शैलेश सिंह कहते हैं कि इस बात से उनके परिवार के लोग भी बेहद खुश हैं।
पहले लोगों ने मजाक समझा
37 वर्षीय शैलेश फिलहाल श्रीराममंदिर अयोध्या में एलएनटी कंपनी के लिए मैन पावर सप्लाई का काम कर रहे है। आंध्रप्रदेश, गुजरात व कर्नाटक में भी उनका काम चल रहा है। वे कहते हैं कि उनके दोस्तों को पहले ये बात मजाक लगी। खुद उनकी मां ने आश्चर्यचकित होकर फोन किया था। उनका पूरा परिवार इस उपलब्धि से खुश है।
रजिस्ट्री दस्तावेज में पूरा विवरण
शैलेश को ईमेल से मिले रजिस्ट्री कागजात में चांद के उस टुकड़े की तस्वीर भी है जिसे बेचने का दावा किया गया है। लूनर ऑर्बिटर डेटाबेस की इस डिजिटल तस्वीर में क्षेत्र की सभी विशेषताएं भी दर्ज हैं। पंजीकृत दावे में संपत्ति का स्थान, अक्षांश और देशांतर, पथ संख्या, लॉट संख्या और इसमें दर्ज मात्रा संख्या, साथ ही पंजीकरण की तारीख भी शामिल है। संपत्ति का रिकॉर्ड इंटरनेशनल लूनर लैंड्स सोसायटी द्वारा अपने वार्षिक प्रकाशन में स्थायी रूप से दर्ज किया जाता है जिसे कॉपीराइट किया जाता है।
क्या है लूना इंटरनेशनल सोसायटी
लूना इंटरनेशनल सोसायटी खुद को चांद पर जमीन बेचने के लिए लाइसेंस प्राप्त एजेंसी होने का दावा करती है। इसकी वेबसाइट पर इसका कार्यालय स्विटजरलैंड और न्यूयार्क में बताया गया है। भूमि दावे की खरीद से प्राप्त आय को विभिन्न अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर खर्च किया जाता है जिसमें चंद्रमा पर पहला गैर-सरकारी मानव मिशन शामिल होने का भी दावा है। हालांकि 1967 की आउटर स्पेस ट्रीटी के मुताबिक चांद की जमीन पर किसी एक देश का एकाधिकार नहीं है और इस पर करीब 110 देशों के हस्ताक्षर हैं लेकिन सालों से लूना सोसायटी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री के जरिए चांद पर ऐसी जमीनें बेच रही है जिसकी कानूनी मान्यता स्थापित नहीं है।