एंटीफंगल त्वचा दवाओं के अत्यधिक उपयोग से दवा-प्रतिरोधी संक्रमण का खतरा : शोध

एंटीफंगल त्वचा दवाओं के अत्यधिक उपयोग से दवा-प्रतिरोधी संक्रमण का खतरा : शोध

न्यूयॉर्क, 15 जनवरी (आईएएनएस)। एक शोध से यह बात सामने आई है कि ज्‍यादा मात्रा में एंटीफंगल दवाओं (क्रीम) का इस्‍तेमाल करने से दवा-प्रतिरोधी संक्रमण का खतरा बढ़़ सकता है।

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के शोधकर्ता जेरेमी गोल्ड के नेतृत्व वाली एक टीम ने कहा, “ये गंभीर रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी सतही फंगल संक्रमण हैं, जो हाल ही में अमेरिका में पाए गए हैं।”

यह सबसे बड़े उभरते खतरों में से एक दाद का दवा-प्रतिरोधी रूप है।

दक्षिण पूर्व एशिया में इस खुजलीदार, गोलाकार चकत्ते का प्रमुख प्रकोप हुआ है जिस पर एंटीफंगल क्रीम या गोली बेअसर है।

गोल्ड की टीम ने बताया कि दवाओं के प्रति प्रतिरोधी दाद के मामले अब 11 अमेरिकी राज्यों में भी देखे गए हैं।

टीम ने कहा, ”इससे मरीजों को व्यापक घावों का सामना करना पड़ रहा है और इसके डायग्नोसिस में देरी हो रही है।”

एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग स्वाभाविक रूप से एंटीफंगल दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित करते हैं। सीडीसी टीम का मानना है कि एंटीफंगल सामयिक क्रीमों को जरूरत से ज्यादा प्रिस्क्राइब किया जा रहा है।

सीडीसी के रोगों की संख्या और मृत्यु दर साप्ताहिक रिपोर्ट के नवीनतम अंक में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि प्राइमरी केयर डॉक्टरों ने इन नुस्खों का सबसे बड़ा प्रतिशत लिखा था, लेकिन त्वचा विशेषज्ञों और पोडियाट्रिस्टों के पास प्रति चिकित्सक नुस्खे के आधार पर यह बहुत अधिक दर थी।

उन्होंने कहा कि त्वचा के घाव को केवल देखने के अलावा उसका ‘डायग्नोसिस टेस्‍ट’ शायद ही कभी किया जाता है।

कुछ चिकित्सक काफी एंटीफंगल दवाएं लिख रहे हैं। टीम ने पाया कि 2021 में “10 प्रतिशत एंटीफंगल प्रिस्क्राइबर्स इनमें से लगभग आधी दवाएं लिखते हैं।”

शोधकर्ताओं ने कहा कि नया अध्ययन संभवतः एंटीफंगल के अत्यधिक उपयोग का केवल एक अंश ही पकड़ता है, क्योंकि “अधिकांश सामयिक एंटीफंगल को डॉक्टर के पर्चे के बिना काउंटर पर खरीदा जा सकता है।”

विशेष रूप से क्लोट्रिमेज़ोल और बीटामेथासोन जैसी दवाओं का उच्च उपयोग, दवा प्रतिरोधी दाद का एक बड़ा कारक माना जाता है।

यह दवा त्वचा (स्टेरॉयड और एंटिफंगल का एक संयोजन) को नुकसान भी पहुंचा सकती है यदि इसे इंटरट्रिगिनस क्षेत्रों पर लगाया जाता है। जिसका मतलब है कि ऐसे क्षेत्र जहां त्वचा खुद पर मुड़ जाती है, जैसे कमर, नितंबों और बगल के आसपास होती है।

टीम ने कहा कि क्लोट्रिमेज़ोल-बीटामेथासोन का दीर्घकालिक, व्यापक उपयोग भी हार्मोनल समस्याओं को ट्रिगर कर सकता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, मूल बात यह है कि, “स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को संदिग्ध फंगल त्वचा संक्रमण के लिए सामयिक एंटीफंगल निर्धारित करने में विवेकपूर्ण होना चाहिए और जब संभव हो तो डायग्नोसिस टेस्‍ट का सहारा लेना चहिए।

उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को मरीजों को सामयिक एंटीफंगल और संयोजन एंटीफंगल-कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के सही उपयोग के बारे में शिक्षित करने का प्रयास करना चाहिए ताकि अत्यधिक नुस्खे और दवा प्रतिरोधी फंगल रोग के खतरे को कम करने में मदद मिल सके।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

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