'कोई मिल गया', 'मिननल मुरली' जैसी घरेलू सुपरहीरो फिल्में मुझे बेहद पसंद: तेजा सज्जा

'कोई मिल गया', 'मिननल मुरली' जैसी घरेलू सुपरहीरो फिल्में मुझे बेहद पसंद: तेजा सज्जा

मुंबई, 14 जनवरी (आईएएनएस)। एक्टर तेजा सज्जा, जिन्हें उनकी हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘हनुमान’ के लिए काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है, ने साझा किया है कि उनकी पसंदीदा घरेलू सुपरहीरो फिल्में ‘कोई मिल गया’, इसका सीक्वल ‘क्रिश’ और मलयालम फिल्म ‘मिननल मुरली’ हैं।

एक्टर ने अपनी फिल्म के बारे में आईएएनएस से बात की। तेजा ने कहा कि वह ‘कोई मिल गया’ के बहुत बड़े फैन हैं। हो सकता है कि उन्होंने इंटरनेशनल सिनेमा के कई सुपरहीरो न देखे हों, लेकिन उन्हें घरेलू सुपरहीरो पर बहुत गर्व है।

उन्होंने आईएएनएस को बताया, ” मैंने ज्यादा इंग्लिश सुपरहीरो फिल्में नहीं देखी हैं। सांस्कृतिक समझ की कमी के कारण मार्वल और डीसी से मैं कभी जुड़ा नहीं। लेकिन मुझे ‘कोई मिल गया’ बहुत पसंद है।’ मुझे ‘मिन्नल मुरली’ भी बहुत पसंद है। पिछले दिनों मैं कोच्चि में ‘मिननल मुरली’ के बारे में बात कर रहा था। टोविनो थॉमस सर भी वहां थे, उन्होंने कहा कि वह भी ‘हनुमान’ के बारे में जानते हैं और वह ‘हनुमान’ के लिए कुछ करना चाहते हैं। मुझे उम्मीद है कि हम साथ मिलकर कुछ कर सकते हैं।”

”हम हमेशा कल से बेहतर हैं। कल उज्जवल और बेहतर होगा। हम इसी की आकांक्षा रखते हैं। यह तो अभी शुरू हुआ है। सबसे बड़ा उदाहरण शाहरुख खान सर का एटली सर के साथ सहयोग करना और प्रभास सर का कर्नाटक के प्रशांत नील सर के साथ सहयोग करना है। उन्होंने मलयालम के पृथ्वीराज सुकुमारन सर के साथ भी सहयोग किया।”

”हमें दोनों सितारों को बहुत सम्मान देना होगा, मलयालम में पृथ्वीराज सर बहुत बड़े स्टार हैं। प्रभास सर, जो खुद एक बहुत बड़े स्टार हैं, उनकी ‘कल्कि’ आ रही है और ‘थलाइवर 170’। ये इस प्रकार के प्रोजेक्ट्स हैं जिन्हें हम लॉन्च करने का प्रयास कर रहे हैं। अब भाषाओं की कोई सीमा नहीं है, संस्कृतियों की कोई सीमा नहीं है। भारतीय सिनेमा सपने देखने की एक आकांक्षा है।”

तेजा जब 2 साल के थे तब से वह तेलुगु सिनेमा में हैं। जब उनसे पूछा गया कि सिनेमा में उनका इतना लंबा सफर कैसा रहा, तो उन्होंने आईएएनएस से कहा, ”मुझे बहुत मजा आया। एक बात यह है कि आप अपने से ज्यादा उम्र के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगते हैं। अगर आप बहुत कम उम्र में सिनेमा में काम कर रहे हैं तो इससे आपको वास्तविक जीवन का भरपूर अनुभव मिलता है। जब आप सिनेमा में काम कर रहे होते हैं, जब आप अपने डायलॉग्स दे रहे होते हैं, तो आप बहुत कम उम्र में ही समझ जाते हैं कि वे किस बारे में बात कर रहे हैं या मैं किस बारे में बात कर रहा हूं। आजकल यह थोड़ा स्वाभाविक और यथार्थवादी है, लेकिन पुराने दिनों में छोटे-छोटे बच्चे, 4-5 साल के बच्चे भी बड़े-बड़े डायलॉग बोलते थे।”

”उस तरह की जागरूकता आपको बहुत कम उम्र से ही मिल जाती है जो आपके जीवन के बाद के चरणों में आपकी मदद करती है। आप अधिक परिपक्व होंगे और आप कम गलतियां करेंगे। मुझे लगता है कि यह फायदा है लेकिन कई नुकसान भी हैं जैसे हम अपना बचपन खो देते हैं, हमारे पास ज्यादा दोस्त नहीं होंगे। भले ही हम दुनिया भर में सबसे प्रभावशाली उद्योगों में से एक हैं, एक माध्यम के रूप में सिनेमा, फिर भी लोग हमें नफरत भरी आंखों से देखते हैं। यह मेरे साथ तब हुआ जब मैं बच्चा था। फिल्मों में अभिनय करने वाले लोगों के प्रति थोड़ा भेदभाव किया जाता है।”

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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