धनबाद, 10 जनवरी (आईएएनएस)। सब कुछ तय योजना के अनुसार हुआ तो धनबाद के झरिया में बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) की कोयला खदानों से कोल बेड मीथेन का प्रोडक्शन इस वर्ष शुरू हो जाएगा। मीथेन उच्च ऊर्जा वाली गैस है और इसका उपयोग बिजली उत्पादन, रसोई गैस और वाहनों के ईंधन के तौर पर किया जा सकता है।
कोल इंडिया की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की गई सूचना के अनुसार झरिया सीबीएम (कोल बेड मीथेन) ब्लॉक से प्रतिदिन 1.3 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर मीथेन के उत्पादन की योजना है। सीबीएम के ब्लॉक एक में एक्सप्लोरेशन (ड्रिलिंग) का काम शुरू कर दिया गया है। इस बीच सीबीएम प्रोजेक्ट के दूसरे ब्लॉक के तहत पश्चिमी झरिया के महुदा इलाके की बंद पड़ी सात अंडरग्राउंड कोयला खदानों से मीथेन उत्पादन की संभावना पर भी काम शुरू कर दिया गया है।
बताया गया है कि इसके लिए सीएमपीडीआई (कोल माइन्स प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लि.) की ओर से फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इससे यह पता चलेगा कि इन बंद खदानों में सीबीएम की मात्रा कितनी है और इसके एक्सप्लोरेशन में कितना खर्च आएगा। जिन बंद खदानों में मीथेन प्रोडक्शन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, उनमें लोहापट्टी, भुरुंगिया, मुचिरायडीह, पाडूगोरा, मुरलीडीह और भाटडील कोलियरी शामिल हैं।
ये सभी कोलियरियां 1963 से 2015 के बीच बंद हुई हैं। उल्लेखनीय है कि झरिया सीबीएम प्रोजेक्ट की लागत 1,880 करोड़ रुपए है। इस प्रोजेक्ट को कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) और आउटसोर्सिंग कंपनी प्रभा एनर्जी प्रा.लि. के ज्वाइंट वेंटर के रूप में शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट का पहला ब्लॉक बीसीसीएल के मुनीडीह प्रक्षेत्र से शुरू किया गया है। यहां मौजूद सीबीएम (कोल बेड मिथेन)-1 से मीथेन उत्पादन और वितरण के लिए बीसीसीएल का गुजरात की कंपनी प्रभा एनर्जी प्रा.लि.के साथ 30 वर्षों का करार हुआ है।
यहां से निकलने वाली गैस गेल की ऊर्जा गंगा पाइपलाइन से देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचाया जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट में बीसीसीएल के 368.58 करोड़ और आउटसोर्सिंग कंपनी के 1510.5 करोड़ रुपये लगे हुए हैं। बीसीसीएल के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि मिथेन के उत्पादन और विपणन से कंपनी के राजस्व में बढ़ोतरी तो होगी ही, ऊर्जा संबंधी चुनौतियों को पूरा करने में भी यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी। मीथेन के दोहन से खदानों में गैस का रिसाव और हादसे तो घटेंगे ही, इससे कंपनी के राजस्व में भी इजाफा होगा।
बता दें कि मीथेन प्राकृतिक गैस है। यह जमीन की गहराई में पाई जाती है। खासतौर पर यह कोयला खदानों में मिलती है। इसे कोल बेड मीथेन कहते हैं। झारखंड में धनबाद, रामगढ़ और बोकारो में 16 लाख घन मीटर मीथेन गैस के भंडार का पता लगाया गया है। मीथेन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए केंद्र सरकार ने पहले चरण में छह राज्यों में कोल बेड मीथेन के साढ़े आठ हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल वाले 15 ब्लॉक की पहचान की है। इनमें से तीन ब्लॉक झारखंड में हैं। इनका क्षेत्रफल 503.11 वर्ग किमी है।
–आईएएनएस
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